खबर संसार किच्छा दिलीप अरोरा । गजब! किच्छा के नेता मौज मे और आम जनता पर चलान की तलवार जी हा कोरोना की दूसरी लहर अभी खत्म भी नहीं हुई है और एक्सपर्ट ने तीसरी लहर की भी भविष्यवाणी कर दी है।और यह भविष्यवाणी अब सही साबित होती भी दिख रही है बहुत से देश ऐसे भी जिनमे फिर से कोरोना केस लगातार बढ़ने लग गए है।इसी को देखते हुए भारतीय स्वाथ्य विभाग ने भी राज्य सरकारों को अवश्यक निर्देश दे दिए है।
लेकिन हाल ही मे देखने को मिला की उत्तराखंड के मंसूरी और नैनीताल मे जिस तरह प्रयटको की संख्या दिखी उसको देखकर ऐसा लगा की राज्य मे जल्द ही तीसरी लहर दस्तक देगी इस भीड़ और नियमों की भारी अनदेखी को देखते हुए माननीय उच्च न्यायलय ने सरकार को कड़े शब्दों मे फटकार लगाई जिसके बाद प्रशासन हरकत मे आया और नैनीताल एसएसपी ने बिना आरटी पीसीआर रिपोर्ट के जिले मे आने पर रोक लगा दी।इसके बाद भी पुरे राज्य मे नियमों की अनदेखी जारी है ज़ब से बजारों को खुलने की अनुमति मिली तब से देखने मे लगातार आया है की बजारों मे न तो मास्क नजर आया और न ही शोशल डिस्टेंसिंग की दूरी।
और बजारों के खुलने के समय मे प्रशासन भी लोगो से नियमों का पालन करता नहीं दिख रहा है जिसकी वजहा से कोरोना एसओपी का जमकर मजाक बन रहा है या यूँ कहे की सिर्फ नाम की ही एसओपी ही रह गयी है।
लगातार देखा जाता है की पुतला फूँकना हो या धरना प्रदर्शन हो या फिर विरोध प्रदर्शन हो हर जगहा बड़े नेता और छोटे मोटे नेता लगातार इन कार्यक्रमों मे नियमों की अनदेखी करते नहीं थक रहे है और जबकि इन नेताओं का अपना जनाधार होता है अपनी फैन फॉलोइंग होती है जो इनको लगातार सोशल मिडिया और अपनी निजी लाइफ मे फॉलो करए रहते है ऐसे मे इननेताओं का नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है ताकि समाज मे एक सकारात्मक मैसेज जाये। मौजूदा समय महामारी का है और तीसरी लहर मे नये वैरियंट जिंका डेल्टा प्लस और ज्यादा मौतो को दस्तक दे सकते है बावजूद इसके नियमों का मजाक बनाने वाले नेता अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है और आये भी तो क्यों क्योंकि इन पर लगाम लगाने का काम प्रशासन को करना है और प्रशासन इस वक्त एक्टिव कम दिख रहा है जिसका जिगता जगता उदहारण है हाल ही मे हुए पुतला फुको कार्यक्रम।इन कार्यक्रमों मे जमकर मास्क और शोशल डिस्टेंसिंग की खूब धज्जियाँ उड़ी।कही ऐसा न ही की सावधानी हटी दुर्घटना घाटी। प्रशासन की जरा सि लापरवाही सब पर भारी न पड़ जाये।और जिले की जनता को इसका खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़े।इसलिए प्रशासन को ऐसी बैठकों को मंजूरी देने से पहले कड़ा सन्देश भी देना चाहिए और नियमों की अनदेखी पर कार्यवाही भी करनी चाहिए।
लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई भी एक्शन नहीं लिया इसी लिए ही दो दिन पूर्व कांग्रेस कार्यकर्ताओ की एक बैठक महाराजा अंग्रेसन ट्रस्ट मे हुई जिसमे 50 से ज्यादा लोग उपस्थित हुए और इसमें मास्क एक दो को छोड़कर किसी ने नहीं पहना था और दूरी की बात करे तो दूरी का नियम क्या होता है वो तो यहां किसी को पता ही नहीं था हालत देखकर तो ऐसा ही लगा।और यही नहीं वहा कांग्रेस के दो गुटों मे आपस मे जमकर बहस बाजी भी हुई। और तो और सोशल मिडिया मे वहा हुई लड़ाई का भी खूब जिक्र हो रहा है।
इस पर सवाल यही है की आखिर क्षेत्रीय प्रशासन क्या कर रहा है क्योंकि एसओपी मे तो साफ साफ उल्लेखित है की संस्कार हो या विवहा समारोह इसमें 50 से ज्यादा लोगो को प्रतिभाग करने की अनुमति नहीं होंगी और दोनों समय मे कोरोना प्रोटोकाल का पालन होना अनिवार्य होगा और नियमों का उलंघन करने पर उचित कार्यवाही को भी अमल मे लाया जायेगा।
लेकिन बावजूद इसके जो बैठक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओ की तरफ से सम्पन्न हुई है उसमे संख्या के आधार पर और मास्क और दूरी के नियमों के अनुसार कोरोना के नियमों की अनदेखी की गयी है।
हैरानी यही नहीं होती कुछ मिडिया ने भी इसको अनदेखा कर दिया जबकि मिडिया के कंधो पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है की वह समाज मे व्याप्त कुरीतियों और अन्याय को अपने कलम की धार से प्रशासन को लगातार अवगत कराय लेकिन यहां तो सब गोल माल ही लगता है।
हा लेकिन एक बात तो साफ है ज़ब भी नियमों का पाठ पढ़ाने की बात होती है तो यहनियम गरीब और आम जनता तक ही सिमित रह जाते है आखिर ऐसा क्यों।और आखिर ऐसी बैठकों को अनुमति ऐसे समय मे कैसे मिल रही है ज़ब कोरोना की तीसरी लहर आने के लिए उतावली बैठी है ।देखना यह होगा की आगे क्षेत्रीय प्रशासन नेताओं को क्या और कैसा पाठ पढ़ाता है और इस बैठक के दौरान हुई नियमों की अनदेखी पर किस प्रकार की कार्यवाही होती है ताकि आने वाले समय मे नियमों की अनदेखी न हो और समाज मे भी प्रशासन की तरफ से एक अच्छा सकारात्मक सन्देश जाये।