खबर संसार देहरादून. खुदको हीरो और हीरोइन समझने वाले पुलिसअधिकारी या कर्मचारियो के सोशल मीडिया में अपना भौकाल दिखाने पर रोक.बहुत से अधिकारी कर्मचारी के अपने यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम फेसबुक अकॉउंट है जिनसे उन्हें आय होती है ये लोग दोहरा लाभ ले रहे, सरकार से भी और अपने पद और वर्दी का इस्तेमाल कर रहे है.जी हा आईजी नीलेश भरणे के अनुसार, सोशल मीडिया पॉलिसी के उल्लंघन पर पुलिसकर्मी के खिलाफ उत्तरांचल अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश-2002 और उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2003 में विहित प्रक्रिया के अधीन नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड सोशल मीडिया पॉलिसी-2024 का पालन करना अनिवार्य होगा।
सरकारी सैलरी के साथ अपने पद और वर्दी का इस्तेमाल सोशल मीडिया में अपना भोंकाल करने पर रोक!
आईजी नीलेश भरणे ने बताया कि कोई भी पुलिसकर्मी सरकारी या व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म से किसी भी तरह की आय अर्जित नहीं कर सकेगा। अगर वह व्यावसायिक तौर पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है तो उसके लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी। पुलिस कार्मिक निजी या सरकारी सोशल मीडिया अकाउंट का व्यावसायिक कंपनी, उत्पाद या सेवा का प्रचार-प्रसार भी नहीं कर सकेंगे।अब पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया का व्यक्तिगत प्रयोग नहीं कर सकेंगे। पुलिस मुख्यालय ने पहली बार सोशल मीडिया पॉलिसी जारी करते हुए कई जरूरी प्रतिबंध लगाए हैं। उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
आईजी-पुलिस आधुनिकीकरण डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि पुलिस अनुशासित फोर्स है और उसके लिए तमाम तरह की कर्मचारी आचरण नियमावलियां हैं। लेकिन, यह देखने में आ रहा है कि सोशल मीडिया पर पुलिसकर्मियों की ओर से वर्दी में वीडियो या रील्स डाले जा रहे हैं। इससे पुलिस की छवि धूमिल हो रही है। इसलिए, इसे अब पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। पुलिसकर्मी अपने कार्यालय या कार्यस्थल पर भी कोई रील या वीडियो बनाकर व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं चला सकेंगे।पुलिस की टैक्टिस, फील्ड क्राफ्ट, विवेचना या अपराध की जांच में प्रयुक्त होने वाली तकनीक की जानकारी भी साझा नहीं करेंगे। किसी भी गुप्त ऑपरेशन या अभिसूचना संकलन की भी जानकारी अपलोड नहीं कर सकेंगे।