बीजिंग, खबर संसार। चीन का चंद्रयान ‘चांग ई 5’ (Chang e 5) चांद की सतह से धरती पर लौट आया है। सरकारी मीडिया ने बताया कि ‘चांग ई 5’ इनर मंगोलनिया क्षेत्र के सिजिवांग जिले में बृहस्पतिवार को उतरा। कैप्सूल इससे पहले अपने ऑर्बिटल मॉड्यूल (Orbital module) से अलग हुुआ।
‘चांग ई 5’ (Chang e 5) के चार में से दो मॉड्यूल एक दिसंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंचे थे और उन्होंने सहत से खुदाई करके करीब दो किलोग्राम नमूने एकत्र किए। इन नमूनों को सील बंद कंटेनर में रखा गया और उसे वापस आने वाले मॉड्यूल में स्थानांतरित किया गया। ‘चांग ई 5’ (Chang e 5) चांद की सतह पर पहुंचने वाला चीन का तीसरा यान है।
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यह चीन के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम की कड़ी का हालिया अभियान है। अभियान के तहत भेजा गया ‘चांग ई 4’ चंद्रमा के सुदूरवर्ती क्षेत्र में पहुंचने वाला पहला यान था। इससे पहले पूर्व सोवियत संघ द्वारा भेजे गये रोबोट वाले लूना 24 अंतरिक्ष यान के जरिये वैज्ञानिकों को चांद से लाये गये नमूने प्राप्त हुए थे।
चांग ई-5 मिशन
चांग ई-5 को 24 नवंबर को दक्षिणी चीन के वेनचांग स्टेशन (Wenchang Station) से एक अंतरिक्षयान के ज़रिए छोड़ा गया था. पहले ये मिशन चांद के ऊपर पहुंचा और इसने खुद को चांद की कक्षा में स्थापित किया और चांद के चक्कर लगाने लगा। बाद में ये दो टुकड़ों में बंट गया – पहला सर्विस व्हीकल और रिटर्न मॉड्यूल जो चांद की कक्षा में ही रुका रहा और दूसरा मून लैंडर जो धीरे-धीरे चांद की सतह की तरफ बढ़ने लगा. 8.2-टन के इस यान ने 1 दिसंबर को चांद की सतह पर निर्धारित जगह के क़रीब सॉफ्ट लैंडिंग की।
इस मिशन को मॉन्स रूमकेर में उतारा गया जो चांद की ज्वालामुखी वाली पहाड़ियों के पास मौजूद एक जगह है. लैंडिंग के कुछ दिनों बाद यान ने चांद की सतह से पहली रंगीन तस्वीर भेजीं। इसने चांद की सतह पर अपने पैर के पास ले लेकर क्षितिज तक की तस्वीर ली।
चांद की सतह के मिट्टी और पत्थरों के नमूनों को इकट्ठा करने के लिए चांग ई-5 के लैंडर में कैमरा, रडार, एक ड्रिल और स्पेक्ट्रोमीटर फिट किया गया था। ये लैंडर क़रीब दो किलो तक के वज़न के पत्थर और मिट्टी इकट्ठा कर सकता था. इकट्ठा नमूनों को ये एक ऑर्बिटिंग मिशन तक पहुंचागा जो इसे आगे पृथ्वी पर भेजेगा।
माना जा रहा है कि मॉन्स रूमकेर से लाए गए नमूनों की उम्र 1.2 से 1.3 अरब साल होगी, यानी वो पहले लाए गए नमूनों की अपेक्षा नए होंगे। जानकारों का मानना है कि इससे चांद के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में अधिक जानकारी मिल सकेगी। इन नमूनों की मदद से वैज्ञानिकों को सटीक रूप से ‘क्रोनोमीटर’ तैयार करने में भी मदद मिलेगी जिससे सौर मंडल के ग्रहों के सतहों की उम्र को माना जाता है।