नई दिल्ली: खबर-संसार। देश की राजधानी से जमात-ए-इस्लामिया हिंद के अंतर्गत छपने वाले कान्ति और दावत अखबार के कर्मचारियों ने अपने अधिकारियों पर शोषण करने का आरोप लगाया है. बताया जा रहा है कि, उनके वेतन और कार्यावधि को लेकर अधिकारी जानबूझकर समस्या पैदा कर रहे हैं.
कान्ति अखबार के पत्रकार और मशहूर कार्टूनिस्ट मोहम्मद यूसुफ (मुन्ना) ने अपने फेसबुक एकाउंट पर जमात-ए-इस्लामिया हिंद ट्रस्ट के अंदर चल रही मनमानियों का पहली बार खुलासा किया है. इन खुलासों के बाद अधिकारीगण उन्हें सोशल मीडिया से पोस्ट हटाने को लेकर दबाव डाल रहे हैं. साथ ही पोस्ट न हटाने पर विभागीय कार्यवाही की धमकियां भी दे रहे है.
पत्रकार यूसुफ लिखते हैं कि, “अधिकार मांगने पर “‘कान्ति/दावत” अख़बार के कर्मचारियों का दमन। दावत ट्रस्ट” के अंतर्गत प्रकाशित कान्ति/दावत अख़बार के कर्मचारियों ने जब से जब से ट्रस्ट के चेयरमैन और JIH अध्यक्ष सआदतउल्लाह हुसैनी साहब और सेक्रेटी अब्दुल जब्बार साहब से ईद रिलीफ और सरकार के मानक के अनुसार अस्थाई कर्मचारियों को वेतन देने की मांग की है तब से इन लोगों को तरह तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है।
कोरोना के कारण दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद 20 अप्रैल से 20 मई 2021 तक जिन कर्मचारियों ने घर से काम किया उनका 25 दिनों का मई का वेतन काट लिया गया। विरोध करने पर कहा गया जिन कर्मचारियों ने घर से काम किया उनको वेतन दिया जायगा लेकिन 11 जून तक इस आश्वासन पर अमल नहीं हुआ। हालाँकि कोरिना के करण कई कर्मचारियों के परिवार में लोग बीमार थे और वो पहले से ही आर्थिक तंगी के शिकार हैं।
लॉक डाउन के बाद दावत ट्रस्ट कार्यालय कि ओर से कर्मचारियों को कार्यालय आने के लिए कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए। 21 अप्रैल को घर से काम करने वाले कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना नोटिस जारी कर अनुपस्थित रहने पर वेतन काटने की करवाई की चेतावनी दी गई। जबकि वे अपने सम्पादकों के संपर्क में रह कर उनके द्वारा दिए गए कार्यों को कर रहे थे।
नोटिस मिलने के बाद लॉक डाउन में सभी कर्मचारी कार्यालय आने लगे जबकि दिल्ली सरकार का आदेश था कि 30 से 50 फीसद कर्मचारी वैलिड आइडेंटिटी कार्ड के साथ ही ड्यूटी कर सकेंगे।
कर्मचारियों ने 24 मई 2021 को नोटिस के जवाब में दिल्ली सरकार के आदेश का उल्लेख करते हुए घर से काम करने की बात कही। इसके बाद सेक्रेटरी अब्दुल जब्बार साहब ने कर्मचारियों को अपने अगले आदेश तक काम करने और हाज़िरी बनाने पर मौखिक रूप से रोक लगा दी।
जब इसका लिखित रूप से विरोध हुआ तब 27 मई से कर्मचारियों को ड्यूटी पर दिखाया गया लेकिन 5 दिन की ड्यूटी (27 से 31 तक ) की हाज़िरी 31 मई को दर्ज की गई। हालाँकि नोटिस मिलने के बाद कर्मचारी 24 मई से ही कार्यालय में उपस्थित थे।
इसके बाद दो 2 जून को दो कर्मचारियों के मई की हाज़िरी (27 से 31 मई) की हाज़िरी को रजिस्टर से मिटा दिया गया। जून माह की हाज़िरी रजिस्टर में उक्त दोनों कर्मचारियों में से एक का नाम दर्ज किया गया लेकिन दूसरे कर्मचारी का नाम अभी तक (11 जून ) नहीं दर्ज किया गया। न उसको कोई कारण बताया जा रहा है।
5 जून 2021 सेक्रेटरी साहब के निर्देश पर मैनेजर साहब की ओर से एक व्हाट्सएप मैसेज किया गया कि संस्था कर्मचरियों से 8 से 9 घंटा काम लेने पर विचार कर रही है और ज़रूरत से ज़्यादा कर्मचारियों की छटनी पर विचार किया जा रहा है। संस्था के अधिकारीयों के इन मनमानी करवाई के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखने पर विभागीय करवाई की धमकी भी दी जा रही है।”