नई दिल्ली, खबर संसार। पूर्वी लद्दाख से इतर, चीन ने अब दूसरे सेक्टर्स में भी घुसपैठ की कोशिश की है। जानकारी के मुताबिक, पिछले हफ्ते चीनी सैनिकों ने सिक्किम (Sikkim) के नाकू ला में घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो दोनों पक्षों में झड़प हुई। दोनों तरफ के सैनिकों को चोटें आई हैं।
फिलहाल हालात काबू में बताए जा रहे हैं। इस पूरी झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ है। उत्तरी सिक्किम (Sikkim) के मुगुथांग दर्रे से आगे नाकू ला सेक्टर है। करीब 19,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र को चीन विवादित मानता है।
इतनी ऊंचाई पर इतनी भयंकर ठंड में ऐसी घटना होना बताता है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर दोनों देशों के बीच हालात कितने खराब हैं। यह घटना यह भी दर्शाती है कि भारतीय जवान LAC पर कितने मुस्तैद हैं।
लद्दाख में भी सैनिकों की तैनाती बढ़ा रहा चीन
पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव को लेकर दोनों देशों के बीच रविवार को कोर कमांडर लेवल की नौवें दौर की बातचीत हुई थी। 15 घंटे तक चली बातचीत में भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि टकराव वाले क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चीन के ऊपर है।
हालांकि बातचीत से अबतक कोई हल नहीं निकल सका है। दोनों ही तरफ से भारी संख्या में सैनिक LAC पर तैनात हैं। एक ताजा मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन बातचीत में बनी सहमति के बावजूद, लद्दाख में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है।
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भारत-चीन बॉर्डर पर सैनिक अक्सर आमने-सामने आते रहते हैं। कई बार झड़प होती है मगर हथियारों का इस्तेमाल नहीं होता। पिछले साल जब सिक्किम (Sikkim) और पूर्वी लद्दाख में झड़प हुई थी, तब भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ था। तब एक वीडियो सामने आया था जो आप नीचे देख सकते हैं।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल अप्रैल-मई के बाद से ही गतिरोध बरकरार है। सिक्किम सेक्टर की बात करें तो यहां 2017 में डोकलाम ट्राई जंक्शन पर 73 दिन तक तनाव की स्थिति रह चुकी है।
उस वक्त भी तनाव इतना बढ़ा था कि युद्ध के आसार जताए जाने लगे थे। इसके बाद 2020 में नाकू ला दर्रे के पास तीखी झड़प हुई। उससे पहले लद्दाख में 5 मई 2020 को पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ चुके थे।
किसी समझौते को नहीं मानता है चीन
2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ यह सहमति बनी थी कि सिक्किम भारत का है और चीन इसपर कोई दावा नहीं करेगा। बदले में भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया था।
हालांकि इसके एक साल के भीतर ही चीन के उप-विदेश मंत्री ने तत्कालीन विदेश मंत्री से कहा था कि यह मुद्दा अभी सुलझा नहीं है। सिक्किम-तिब्बत संधि 1890 में भी सीमांकन को लेकर स्थिति साफ है। 1894 का सिक्किम (Sikkim) गजेटियर भी नाकू ला के पास से गुजरने वाली सीमा का जिक्र करता है।