भारत विकसित देशों की श्रेणी से इतनी दूर, कब तक पूरा होगा मोदी का सपना? जी, हां भारत 3.5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवीं और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। कुछ ही समय पहले भारत ने जीडीपी के मामले में फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों को पीछे छोड़ा है।
अनुमान इस बात के भी हैं कि जर्मनी और जापान से भारत का आगे निकल जाना चंद सालों की बात रह गई है। मतलब जल्दी ही भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है और तब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका व चीन रह जाएंगे। तरक्की की इस शानदार कहानी के साथ में एक बात रह-रह कर उठती रहती है कि भारत की गिनती कब विकसित देशों में होगी?
क्या होती है विकसित देश की परिभाषा?
आइये सबसे पहले यह जान लेते हैं कि विकसित देश की परिभाषा क्या है। एक विकसित देश का मतलब है- एक ऐसा देश, जिसके पास परिपक्व अर्थव्यवस्था हो, उन्नत तकनीकी बुनियादी संरचना हो, उद्योग के साथ-साथ सेवा क्षेत्र हो, और जिसके नागरिकों को गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं और उच्च शिक्षा सुलभ हों। ये सारे पैमाने ऐसे हैं, जो तुलनात्मक हैं।
मतलब कोई स्पष्ट लाइन नहीं है, जिसके उस पार वाले देशों को विकसित देश कह दिया जाए और इस पार वाले को अविकसित। इसे आम तौर पर सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी, प्रति व्यक्ति जीडीपी, प्रति व्यक्ति आय आदि जैसे पैमानों पर तुलना करके तय किया जाता है। इसके अलावा लोगों के जीवन-यापन के स्तर के हिसाब से भी देशों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाता है।
कैसे होता है विकास का वर्गीकरण?
संयुक्त राष्ट्र देशों को 2 श्रेणियों में रखता है- विकसित देश और विकासशील देश। इसका पैमाना बुनियादी आर्थिक स्थितियां हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास 3 कैटेगरी हैं- विकसित अर्थव्यवस्था, उभरती अर्थव्यवस्था और विकासशील या कम-आय वाली अर्थव्यवस्था। विश्वबैंक के पास 4 श्रेणियां हैं- उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएं, उच्च-मध्य आय वाली अर्थव्यवस्थाएं, निम्न-मध्य आय वाली अर्थव्यवस्थाएं और निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाएं। आईएमएफ श्रेणियों में बांटने के लिए कई पैमानों का इस्तेमाल करता है, जबकि विश्वबैंक प्रति व्यक्ति आय के आधार पर वर्गीकरण करता है।
अन्य देशों की तुलना में कहां खड़ा है भारत?
अब भारत की बात करें तो हम भले ही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हों, विकसित देश बनने के लक्ष्य से कोसों दूर हैं। तस्वीर को बेहतर समझने के लिए यहां हम दो पैमाने और उनके हिसाब से भारत की मौजूदा स्थिति को देख लेते हैं। प्रति व्यक्ति जीडीपी के हिसाब से भारत टॉप-100 में भी कहीं नहीं है। नॉमिनल बेसिस पर भारत की रैंकिंग 139वीं और पीपीपी बेसिस पर 127वीं है। इसी तरह एक और पैमाने मानव विकास सूचकांक को देखें तो भारत अभी 132वें स्थान है।
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