London, खबर संसार। ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में Corona virus का एक नया वेरिएंट पाया गया है जो तेज़ी से फैल रहा है। देश के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा कि कम से कम 60 अलग-अलग स्थानीय प्रशासनों को इस नए प्रकार से कोविड संक्रमण(Corona virus) के मामले मिले हैं। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अधिसूचित कर लिया है और ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस पर विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं।
मंत्री ने बताया कि ये बीमारी और बिगड़ सकती है और हो सकता है कि वैक्सीन इस पर काम ना करे. उन्होंने सदन में बताया कि पिछले हफ़्ते लंदन, केंट, एसेक्स और हर्टफोर्डशायर के हिस्सों में कोरोन वायरस से संक्रमण के मामलों में बहुत तेज़ी आई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ”फिलहाल हमें वायरस(Corona virus) के इस प्रकार के 1,000 से ज़्यादा मामले मिले हैं जो खासतौर पर इंग्लैंड के दक्षिणी हिस्से में सामने आए हैं। ये मामले 60 अलग-अलग इलाक़ों में पाए गए हैं। ”इसके कारण हमें तेज़ और निर्णायक कार्रवाई करनी होगी जो इस घातक बीमारी को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी है, भले ही इसके लिए वैक्सीन दी जा रही है।”
इंग्लैंड के चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर प्रोफेसर विटी ने कहा कि वर्तमान में किए गए कोरोना वायरस के स्वैब टेस्ट में इस नए प्रकार का पता चला है जो पिछले कुछ हफ़्तों में विशेषतौर पर केंट और उसके आसपास के इलाक़ों में पाया गया है।
Corona virus: इंग्लैंड में अब तक का सबसे सख़्त लॉकडाउन
इस संभावित ख़तरे को देखते हुए इंग्लैंड में अब तक का सबसे सख़्त लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई है. लंदन में और खासतौर पर एसेक्स और हर्टफोर्डशायर के कुछ हिस्सों में बुधवार से नए नियम लागूकिए जाएंगे।
टीयर तीन में बड़े स्तर पर हाई अलर्ट होगा।इसमें पब और रेस्टोरेंट्र बंद रहेंगे, सिर्फ़ टेकअवे और डिलीवरी चलती रहेगी. इसके अलावा थियेटर, सिनेमा हॉल आदि बंद रहेंगे।
हालांकि, कड़े लॉकडाउन को लेकर कुछ तबकों ने नाराज़गी भी ज़ाहिर की है. हॉस्पिटेलिटी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि इससे हज़ारों नौकरियां ख़तरे में पड़ सकती हैं।
वायरस को समझने की कोशिश
वायरस में आए बदलाव उसमें मौजूद स्पाइक प्रोटीन से जुड़े होते हैं. ये वायरस का वो हिस्सा हैं जो कोशिकाओं को संक्रमित करने में मदद करता है और कोरोना वायरस की वैक्सीन इसी को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं।
अभी ये पता चलना मुश्किल है कि ये वायरस के बदलाव को कैसे प्रभावित करेगा. बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में विशेषज्ञ प्रोफेसर एलन मैकनली ने बीबीसी को बताया, ”हमें बहुत ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. इसका मतलब यह नहीं है कि ये ज़्यादा संक्रामक या खतरनाक है. बस हमें उस पर नज़र रखनी है।
”वायरस के इस प्रकार को समझने के लिए बड़े स्तर पर कोशिश की जा रही है. तनाव की स्थिति में शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।” वेलकम के निदेशक डॉक्टर जेरेमी फरार कहते हैं कि ये गंभीर हो सकता है। इसकी निगरानी और इस पर शोध जारी रहने चाहिए और हमें ज़रूरी कदम उठाने चाहिए ताकि हम वायरस से आगे रह सकें।
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी के प्रोफेसर जॉनाथन बॉल कहते हैं, ”कई वायरस की जेनेटिक जानकारी बहुत जल्दी बदल सकती है और कई बार ये बदलाव वायरस को फायदा पहुंचाते हैं, जैसे कि वो तेज़ी से फैल सकता है या वैक्सीन के असर से बच सकता है. लेकिन, कई बार वायरस में हुए बदलावों का कोई प्रभाव नहीं होता।
”भले ही ब्रिटेन में वायरस का नया प्रकार सामने आया है लेकिन ये एक इत्तेफाक हो सकता है. इसलिए, जब तक कि हम वायरस में आए बदलाव और उसके प्रभाव का अध्ययन नहीं कर लेते तब तक कोई भी दावा करना जल्दबाजी होगी.”
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