लोकसभा में बुधवार को दूरसंचार विधेयक 2023 को मंजूरी मिल गई है। इस विधेयक के अनुसार, फर्जी सिम लेने पर तीन साल की जेल और 50 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इसके पारित होने के साथ ही पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 सहित दो कानून निरस्त हो जाएंगे।
इस कानून के पास होने के बाद दूरसंचार के क्षेत्र में कई चीजें बदल जाएंगी। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि अब कोई भी धोखाधड़ी से सिम प्राप्त नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि दूरसंचार नेटवर्क की सुरक्षा को लेकर भी इसमें कानूनी रूपरेखा प्रदान की गई है। आइए जानते हैं कि नए कानून से क्या-क्या बदल जाएंगे।
फर्जी सिम लेने पर जेल
नए बिल में फर्जी सिम लेने पर तीन साल की जेल और 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस बिल में उपभोक्ताओं को सिम कार्ड जारी करने से पहले जरूरी रूप से बायोमीट्रिक पहचान करने के लिए कहा गया है।
विधेयक के अनुसार, यदि कोई राष्ट्रीय सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित के खिलाफ किसी भी तरह से काम करता है और अवैध रूप से दूरसंचार उपकरणों का उपयोग करता है, तो उसे तीन साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है या दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है या दोनों सजा दी जा सकती हैं। विधेयक में कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार उचित समझती है तो ऐसे व्यक्ति की दूरसंचार सेवा निलंबित या समाप्त भी कर सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं
नए बिल में राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सरकार को ये अधिकार देता है कि वो अस्थायी रूप से दूरसंचार सेवाओं को नियंत्रण में लेने की अनुमति देने और उपग्रह स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी नहीं बल्कि प्रशासनिक प्रणाली अपनाने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में कहा गया है कि जो कोई भी महत्वपूर्ण दूरसंचार बुनियादी ढांचे के अलावा दूरसंचार नेटवर्क को नुकसान पहुंचाने पर उसपर 50 लाख रुपये तक जुर्माने लग सकता है।
बिल में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत कोई भी अधिकारी किसी भी इमारत, वाहन, जहाज, विमान या स्थान की तलाशी ले सकता है, जहां उसे कोई अनधिकृत दूरसंचार नेटवर्क या दूरसंचार उपकरण या रेडियो उपकरण रखने या छिपाये जाने का भरोसा हो। विधेयक के अनुसार, अधिकृत व्यक्ति इस तरह के उपकरण को अपने कब्जे में ले सकता है।
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