संजय व उदय दास बनकर कोलकाता में रह रहे थे बेंगलुरु ब्लास्ट के आरोपी जी, हां रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में 42 दिनों की जांच के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शुक्रवार (12 अप्रैल) को पश्चिम बंगाल से दो आरोपियों (मुसाविर हुसैन शाजिब और अब्दुल मथीन ताहा) को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद एनआईए को पता चला कि दोनों पश्चिम बंगाल में नई पहचान के साथ रह रहे थे।
एनआईए को पता चला है कि कोलकाता दो जगह ये लोग रुके औऱ दोनों जगह फर्जी पहचान पत्र के जरिये हिंदू बनकर रूम लिया। शाज़ेब ने युशा शाहनवाज पटेल नाम का एक नकली आधार कार्ड इस्तेमाल किया और खुद को पालघर, महाराष्ट्र से होने का दावा किया। ताहा ने खुद को एक स्थान पर कर्नाटक का विग्नेश बीडी और दूसरे स्थान पर अनमोल कुलकर्णी बताया और इसी नाम की आईडी दिखाई। दूसरे होटल में उन्होंने अपना नाम झारखंड और त्रिपुरा के संजय अग्रवाल और उदय दास बताया।
शाजिब ने रखा था कैफे में IED
इन दोनों की गिरफ्तारी खुफिया एजेंसियों और एनआईए के लिए एक महत्वपूर्ण विकास है। दोनों ने 42 दिनों तक एक पैटर्न का पालन किया जिस पर एजेंसियां नज़र रख रही थीं। सूत्रों ने कहा, दोनों केवल गेस्टहाउस और निजी लॉज में रुके थे जहां वेरिफिकेशन के लिए मजबूर नहीं किया जाता है। आरोपी कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के तीर्थहल्ली के रहने वाले हैं। अधिकारियों ने बताया कि कैफे में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) शाजिब ने रखा था, जबकि ताहा विस्फोट की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का मास्टरमाइंड था।
फुटेज में दोनों चेकइन करते दिखे
शाजिब और ताहा की गिरफ्तारी के एक दिन बाद दोनों का एक नया सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है। यह फुटेज कोलकाता के एकबालपुर का है और दोनों एक गेस्ट हाउस में चेकइन करते दिख रहे हैं। शाजिब और ताहा ने 25 मार्च को इस गेस्ट हाउस में चेक इन किया था और तीन दिनों तक वहां रुके थे। उन्होंने कर्मचारियों को बताया था कि वे कर्नाटक और महाराष्ट्र के पर्यटक हैं।
बातचीत के लिए क्षेत्रीय भाषा का करते थे इस्तेमाल
होटल के रिसेप्शनिस्ट अशरफ अली ने न्यूज एजीं एएनआई को बताया कि वे 25 मार्च को यहां आए और अपना पहचान पत्र दिखाया और हमने उन्हें एक कमरा दे दिया। उन्होंने 28 मार्च को होटल से चेकआउट किया। जब एनआईए के अधिकारी पहुंचे, तो उन्होंने एंट्री रजिस्टर देखकर जांच शुरू की। अशरफ अली ने बताया कि हम होटल के अंदर खाना नहीं देते इसलिए वो दोनों बाहर खाना खाने जाते थे। दोनों एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए अपनी क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल करते थे।
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