जी, हां सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी द्वारा बनाई गई दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित एक मामले में पतंजलि आयुर्वेद के प्रमोटर योग गुरु बाबा रामदेव और प्रबंध निदेशक (एमडी) बालकृष्ण के खिलाफ फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने उन्हें उन दवाओं के विज्ञापनों को वापस लेने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया।
इसके साथ ही कोर्ट की तरफ से उन्हें फिलहाल व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कोर्ट के आदेश पर प्रेस को इंटरव्यू देने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. अशोकन को फटकार भी लगाई। अदालत ने कहा कि डॉ. अशोकन की हरकतें पतंजलि की तरह हैं और उन्होंने एसोसिएशन के 3.5 लाख डॉक्टरों के लिए स्थापित उदाहरण पर चिंता व्यक्त की।
अदालत ने रामदेव व बालकृष्ण के माफी की सराहना की
इससे पहले, पतंजलि के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि कंपनी ने अपने उत्पादों के बारे में झूठे दावे करने वाले विज्ञापनों पर अखबारों में 322 बार माफी मांगी है। अदालत ने प्रबंधन के रवैये में उल्लेखनीय सुधार को स्वीकार किया और रामदेव और बालकृष्ण के नाम वाली माफी की सराहना की।
पिछली सुनवाई में अदालत ने कंपनी के विज्ञापनों की तुलना में सार्वजनिक माफी के आकार पर सवाल उठाया था और जानबूझकर अवज्ञा का हवाला देते हुए उनकी माफी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने 2018 से हरिद्वार के सभी जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारियों को उनके द्वारा की गई कार्रवाई प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
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