खबर संसार नैनीताल.नैनीताल का इतिहास एक बार फिर से दोहरा सकता है!जी हा कल का भूस्खलन संकेत दें रहा है 153 साल पहले घटी घटना फिर से दस्तक दें सकती है.पैसा कमाने की चाहत अंधाधुंध और अनियोजित विकास नैनीताल को गर्त में ले जाएगाझील विकास प्राधिकरण और विकास प्राधिकरण किस तरह काम कर रहे होंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है लेकिन उनकी कार्यशैली नैनीताल और उसकी बसासत के लिए गंभीर चिंता का विषय जरूर है.
पैसा कमाने की चाहत अंधाधुंध और अनियोजित विकास नैनीताल को गर्त में ले जाएगा!
23 सितम्बर की सुबह नैनीताल की सबसे संवेदनशील आल्मा पहाड़ी में अचानक भूधंसाव शुरू हो गया। इस पहाड़ी पर करीब 10 हजार से अधिक आबादी रहती है। कई दशक से वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद यहां अवैध निर्माण की बाढ़ सी आई हुई है। जिसका नतीजा 23 सितम्बर शनिवार को भूस्खलन के रूप में सामने आया। सबसे पहले जो दो मंजिला भवन गिरा वह भी अवैध रूप से बना था। जिसे कुछ समय पूर्व ही विकास प्राधिकरण ने सील किया था।
पर्यटक नगरी नैनीताल में भूस्खलन के लिहाज से सबसे संवेदनशील इलाका आल्मा की पहाड़ी पर बसा सात नंबर का क्षेत्र माना जाता है। यह नैनीझील के ऊपर बायीं ओर की खड़ी पहाड़ी है जो ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है। यहां अंग्रेजों के समय से ही निर्माण प्रतिबंधित रहा है। पर बीते तीन से चार दशकों के बीच इस पहाड़ी पर निर्माण की बाढ़ आ गई। मौजूदा समय में इस पहाड़ी पर करीब दस हजार से अधिक लोग घर बनाकर रह रहे हैं। जिनमें बड़ी संख्या में अवैध रूप से हुए निर्माण भी शामिल हैं। इस अवैध निर्माण में झील विकास प्राधिकरण की भी भूमिका रही है। वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे थे कि पहाड़ियों में भूस्खलन की स्थितियां बन रही हैं। शनिवार की घटना के बाद अब यह आशंका सच साबित होती नजर आ रही है।फिलहाल ये परिवार किए गए है विस्थापित. जिनमे कमल सिंह पासन डोमा, राहुल पवार, चंद्रशेखर जोशी, रमेश धामी, मंगल बिष्ट, भरत कापड़ी, कैलाश मिश्रा, के भवन खतरे की जद में हैं। यही नहीं इनके घरों में कई लोग किराए पर भी रहते हैं। ऐसे में प्रशासन की टीम ने सभी को अन्यंत्र विस्थापित कर दिया है। साथ ही आसपास के लोगों को भी सचेत रहने की बात कही