गाजा पट्टी को लेकर संयुक्त राष्ट्र में संघर्ष देखने को मिला। गाजा में युद्धविराम पर कोई सहमति बनती नहीं दिख रही है। रूस और अमेरिका दोनों के प्रस्ताव खारिज कर दिये गये। जहां अमेरिका ने रूस के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया।
चीन और रूस ने अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल कर अमेरिका के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. इस वीटो के बाद रूस और चीन जो सबसे बड़ा संदेश देना चाह रहे थे वो ये है कि वो अमेरिकी मनमानी को स्वीकार नहीं करते और उसका विरोध करते हैं।
अमेरिका बाकी दुनिया को अपना पक्ष दिखाना चाहता था और रूस और चीन ने इस्लामिक दुनिया के प्रति अपना समर्थन दिखाया। संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने इजराइल-हमास संघर्ष पर अमेरिका तथा रूस द्वारा पेश किए दो विरोधी प्रस्तावों पर वीटो किया।
रूस तथा चीन ने अमेरिका द्वारा पेश किए इस प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया
अमेरिका द्वारा पेश किए गए पहले प्रस्ताव में कहा गया है कि सदस्य देशों को आतंकवादी कृत्यों से शांति तथा सुरक्षा के लिए पैदा किए गए खतरों के खिलाफ अपनी रक्षा करने का अधिकार है। इसमें हमास आतंकवादियों द्वारा शासित क्षेत्र गाजा में पूर्ण, त्वरित, सुरक्षा तथा निर्बाध पहुंच के लिए सभी उपाय करने का आह्वान किया गया है। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों रूस तथा चीन ने अमेरिका द्वारा पेश किए इस प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया।
संयुक्त अरब अमीरात ने भी प्रस्ताव के मसौदे के खिलाफ वीटो किया। इसके पक्ष में 10 (अल्बानिया, फ्रांस, इक्वाडोर, गाबोन, घाना, जापान, माल्टा, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका) सदस्यों ने वोट किया तथा ब्राजील और मोजाम्बिक मतदान से दूर रहे।
इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा था कि वाशिंगटन ने मजबूत और संतुलित प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने रूस तथा चीन द्वारा इस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो किए जाने पर निराशा जतायी और सुरक्षा परिषद के सदस्यों से रूस के प्रस्ताव पर वोट देकर मॉस्को के ‘‘निंदनीय और गैरजिम्मेदाराना बर्ताव’’ को बढ़ावा न देने का अनुरोध किया।
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