जन सुराज पार्टी 2025 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी, जिसके बाद पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर ने इसकी जिम्मेदारी खुद ली थी। हार के ठीक बाद गुरुवार (20 नवंबर, 2025) को वे भितिहरवा आश्रम पहुंचे—वही जगह, जहां से उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई थी। यहां उन्होंने 24 घंटे का मौन उपवास रखकर आत्ममंथन किया। शुक्रवार को मौन व्रत तोड़ने के साथ ही प्रशांत किशोर ने पार्टी और अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कई अहम घोषणाएं कीं।
15 जनवरी से ‘बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान’, हर वार्ड में जाएंगे पीके
प्रशांत किशोर ने पत्रकारों से कहा कि गांधी जी की प्रेरणा से एक बार फिर आंदोलन की राह पर चलने का फैसला किया है। उन्होंने घोषणा की कि 15 जनवरी से वह बिहार के सभी 1 लाख 18 हजार वार्ड में जाकर ‘बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान’ चलाएंगे, जिसके तहत वे जनता से संवाद करेंगे और सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा कराने की दिशा में काम करेंगे। विद्यालय की छात्राओं ने उन्हें जूस और पानी पिलाकर उपवास खत्म कराया।
सरकार पर हमला: “चुनाव में वोट खरीदे गए, जनता को भ्रमित किया गया”
पीके ने सरकार पर सीधा आरोप लगाया कि चुनाव से ठीक पहले गरीब मतदाताओं को 10,000 रुपये देकर वोट खरीदे गए और 2 लाख रुपये देने का लोकलुभावन वादा कर जनता को गुमराह किया गया। उन्होंने दावा किया कि इस बार बिहार चुनाव में पैसे से वोट खरीदने का खुला खेल हुआ।
नीतीश कुमार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि अब उन्हें ईमानदार मुख्यमंत्री समझना मुश्किल होता जा रहा है, क्योंकि सरकार में अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्तियों को मंत्री बनाया गया है।
90% संपत्ति जन सुराज को दान, समर्थकों से सालाना 1000 रुपये सहयोग की अपील
मौन व्रत तोड़ते ही प्रशांत किशोर ने अपने जीवन का सबसे बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अपनी कुल कमाई का 90% हिस्सा जन सुराज को समर्पित करेंगे। इसके साथ ही पिछले 20 वर्षों में कमाई गई संपत्ति में से परिवार के घर को छोड़कर बाकी सब कुछ संगठन को दान करने की घोषणा की।
पीके ने समर्थकों से अपील की कि हर जनसुराजी साल में 1000 रुपये संगठन को दे, ताकि राजनीतिक आंदोलन को मजबूत आधार मिल सके। उन्होंने कहा कि भले ही चुनाव हार हुए हों, लेकिन लड़ाई खत्म नहीं हुई है। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले समय में जन सुराज एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभरेगा।
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