नई दिल्ली: भारत और अफगानिस्तान ने अब सीधी हवाई मालवाहक उड़ानें शुरू करने का निर्णय लिया है, जो दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगी। इस कदम से दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन और पड़ोसी पाकिस्तान के साथ संबंधों पर असर पड़ेगा।
काबुल की नई रणनीति और भारत की पहल
विश्लेषकों के अनुसार, काबुल इस कदम के जरिए व्यापार मार्गों में विविधता ला रहा है और पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है। वहीं, भारत अफगानिस्तान में अपना प्रभाव फिर से स्थापित करने के लिए सक्रिय हुआ है।
अफगानिस्तान को व्यापार में लाभ
अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अलहाज नूरुद्दीन अजीजी की दिल्ली यात्रा के बाद भारत ने मालवाहक उड़ानों को हरी झंडी दिखाई। इससे ताजे फल और औषधीय जड़ी-बूटियों का तेज परिवहन संभव होगा, जो जमीनी मार्गों से मुश्किल है।
चाबहार पोर्ट का होगा उपयोग
सरकारी बयान में कहा गया कि दोनों देश अपने-अपने दूतावासों में वाणिज्यिक प्रतिनिधि नियुक्त करेंगे और व्यापार समन्वय के लिए संयुक्त वाणिज्य मंडल बनाएंगे। इसके अलावा, ईरान के चाबहार बंदरगाह का उपयोग कर द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा, जो पाकिस्तान से होकर नहीं जाता।
बढ़ते काबुल-नई दिल्ली संबंध और पाकिस्तान की चिंता
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, पाकिस्तान भारत के साथ काबुल के बढ़ते संबंधों से चिंतित है। मई में दोनों देशों के बीच हुई सैन्य झड़प के बाद तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान ने अफगान आतंकवादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया, जिसे भारत ने खारिज किया।
भारत का क्षेत्रीय असुरक्षा रोकने का कदम
भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और आर्थिक सहयोग जारी रखा है। भूकंप जैसी आपदाओं में भी दिल्ली ने मदद दी। अब भारत अफगानिस्तान के साथ अपने संबंध मजबूत कर क्षेत्रीय असुरक्षा को रोकने की कोशिश कर रहा है।
आर्थिक निवेश और भविष्य की संभावनाएँ
अफगानिस्तान के मंत्री अजीजी ने भारत को पांच साल की कर छूट और मुफ्त जमीन के जरिए निवेश के लिए आमंत्रित किया। दोनों देशों का वर्तमान व्यापार 1 अरब अमेरिकी डॉलर है। अफगानिस्तान की खनिज, तेल और गैस संपदा भारत के लिए बड़े अवसर खोल सकती है।
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