अफ़ग़ानिस्तान एक बार फिर भूकंप के झटकों से दहल उठा है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, मंगलवार को देश में 3.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसकी गहराई 70 किलोमीटर थी। इससे कुछ घंटे पहले 4.5 तीव्रता का एक उथला भूकंप भी आया था, जो केवल 10 किलोमीटर की गहराई पर था। विशेषज्ञ बताते हैं कि कम गहराई के भूकंप ज़्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि उनकी तरंगें सीधे सतह पर तीव्र रूप से महसूस होती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान की आशंका बढ़ जाती है।
अफ़ग़ानिस्तान: भूकंपों का ऐतिहासिक केंद्र
रेड क्रॉस के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास शक्तिशाली भूकंपों से भरा रहा है। हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला भूगर्भीय रूप से अत्यधिक सक्रिय है, जहां हर साल कई भूकंप दर्ज किए जाते हैं। इस क्षेत्र की लगातार गतिविधि इसे वैश्विक स्तर पर सबसे संवेदनशील भूकंपीय ज़ोन में शामिल करती है।
शराफत ज़मान अमर: 4 नवंबर का भूकंप लाया भारी तबाही
सरकारी प्रवक्ता शराफत ज़मान अमर ने जानकारी दी कि 4 नवंबर को आए एक शक्तिशाली भूकंप में कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई जबकि 956 लोग घायल हुए। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इस भूकंप में देश की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक भी क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे स्थानीय समुदाय में बड़ा प्रभाव देखा गया।
USGS: मजार-ए-शरीफ के पास 6.3 तीव्रता का उथला भूकंप
संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, सोमवार तड़के परिवार उस वक्त भयभीत हो गए जब मजार-ए-शरीफ के पास 6.3 तीव्रता का ज़ोरदार झटका महसूस हुआ। यह भूकंप केवल 28 किलोमीटर की उथली गहराई पर आया, जिससे कई आबादी वाले इलाकों में झटके बेहद तीव्र थे।
विशेषज्ञ बताते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच मौजूद कई भ्रंश रेखाओं पर स्थित है। एक प्रमुख भ्रंश रेखा हेरात से होकर गुजरती है, जो इस क्षेत्र को लगातार भूकंपों के ख़तरे में रखती है।
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