डिजिटल युग के बढ़ते इस्तेमाल के बीच साइबर ठगी के मामले रिकॉर्ड तेजी से बढ़ रहे हैं। ठग कुछ ही मिनटों में किसी को शिकार बनाकर पैसा कई खातों में भेज देते हैं, जिससे बाद में रिकवरी मुश्किल हो जाती है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ठगी के तुरंत बाद मिलने वाला पहला 60 मिनट बेहद कीमती—गोल्डन आवर्स—होता है, जिसमें शिकायत करने पर पैसे वापस पाने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
14 लाख रुपये की रिकवरी: उदाहरण जो सबको सीख देता है
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2025 में कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर से बीजेपी सांसद डॉ. के. सुधाकर की पत्नी प्रीति को ठगों ने मुंबई साइबर क्राइम पुलिस बनकर कॉल किया। आरोप लगाया गया कि उनके खाते से गलत ट्रांजेक्शन हुआ है और गिरफ्तारी भी हो सकती है। डर के कारण प्रीति ने 14 लाख रुपये ठगों के बताए खाते में भेज दिए।
गलती का एहसास होते ही उन्होंने तुरंत 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज की। पुलिस ने फौरन खाते फ्रीज कर दिए और पूरा पैसा वापस मिल गया। यह उदाहरण बताता है कि फौरन कार्रवाई कितना बड़ा फर्क ला सकती है।
गोल्डन आवर्स में की गई शिकायत से बच गए 93 हजार रुपये
मुंबई की एक महिला ऑनलाइन होटल बुक कर रही थीं जब ठगों ने उनसे 93 हजार रुपये हड़प लिए। महिला और उनके पति ने कुछ ही मिनटों में बैंक व पुलिस को जानकारी दी। चूंकि शिकायत गोल्डन आवर्स में दर्ज हुई, पुलिस ने ‘म्यूल अकाउंट’ ब्लॉक कर दिया और पूरा पैसा सुरक्षित वापस मिल गया।
गोल्डन आवर्स क्या हैं और क्यों जरूरी हैं?
पहले साइबर ठगी के बाद 3 घंटे को गोल्डन आवर्स माना जाता था, लेकिन अब UPI व फास्ट पेमेंट सिस्टम के चलते पैसा सेकंडों में आगे भेज दिया जाता है। इसलिए विशेषज्ञ बताते हैं कि अब असली गोल्डन आवर सिर्फ 60 मिनट है।
बैतूल पुलिस के साइबर एक्सपर्ट दीपेंद्र सिंह कहते हैं कि यदि शिकायत पहले घंटे में मिल जाए तो पैसा अभी पहले या दूसरे खाते में होता है और बैंक उसे रोक सकते हैं।
केवल 10% लोग ही शिकायत करते हैं — यही सबसे बड़ी समस्या
नागपुर साइबर डीसीपी लोहित मतानी बताते हैं कि कई लोग धोखे को स्वीकार ही नहीं करते। शर्म, डर या कन्फ्यूजन में लोग शिकायत देर से करते हैं। नतीजा—ठग कैश निकाल लेते हैं और पैसा वापस मिलना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
गोल्डन आवर्स में शिकायत करने पर क्या होता है?
1930 पर कॉल मिलते ही पुलिस पैसे के रूट को ट्रेस करती है और सभी खातों पर ‘लियन’ (रोक) लगा देती है। इससे पैसा आगे नहीं बढ़ पाता और कोर्ट के आदेश पर पीड़ित को वापस मिल जाता है।
ठगी हो जाए तो तुरंत क्या करें?
- तुरंत 1930 डायल करें
- cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें
- अपने बैंक को तुरंत सूचित करें
- जितनी जल्दी कार्रवाई, उतने ज्यादा पैसे बचने की संभावना
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