Monday, May 20, 2024
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कोविशील्ड को लेकर बड़ा धमाका, हार्टअटैक की घटनाओं को लेकर प्रतिशत में बड़ोत्तरी की बात सामने!

खबर संसार नई दिल्ली. कोविशील्ड को लेकर बड़ा धमाका, हार्टअटैक की घटनाओं को लेकर प्रतिशत में बड़ोत्तरी की बात सामने आ रही है! इसको लेकर चर्चा परिचर्चा होने लगी है इधर आईसीएमआर ने कोरोना वैक्सीन को क्लीन चिट दी है.कार्डियोलॉजी के डॉक्टर भी कह रहे किसी भी वेक्सीन का वास्तविक रिजल्ट तो कई सालों में कुछ लोगो को दिक्कत का आ सकता है और हर दवा का साइड इफ़ेक्ट तो होता ही है.इधर ये बात उछल रहीं है वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार माना है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं

कोविशील्ड को लेकर बड़ा धमाका, हार्टअटैक की घटनाओं को लेकर प्रतिशत में बड़ोत्तरी की बात सामने

हालांकि उस समय वेक्सीन को अमृत के रूप में माना जा रहा था क्योंकि मौत का प्रतिशत बढ़ रहा था वैक्सीन ने इस पर रोक लगाई थी.ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट्स की बात कबूल की है। हालांकि, वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को स्वीकार करने के बाद भी कंपनी इससे होने वाली बीमारियों या बुरे प्रभावों के दावों का विरोध कर रही है। यह खबर भारत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां कोविड-19 के प्रसार के दौरान बड़े पैमाने पर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की इसी वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से इस्तेमाल किया गया था।

भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से हासिल लाइसेंस के तहत देश में इस वैक्सीन का उत्पादन किया था और इसे सिर्फ भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में ही नहीं इस्तेमाल किया गया था, बल्कि दुनिया के कई देशों को निर्यात किया गया। कोविशील्ड के अलावा इस वैक्सीन को कई देशों में वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम से भी बेचा गया था। एस्ट्राजेनेका पर यह मुकदमा जेमी स्कॉट ने दायर किया है, जो इस टीके को लेने के बाद ब्रेन डैमेज के शिकार हुए थे। कई परिवारों ने भी कोर्ट में इस टीके के दुष्प्रभावों की शिकायत की थी।

कोर्ट पहुंचे शिकायतकर्ताओं ने शरीर को पहुंचे नुकसान के लिए कंपनी से क्षतिपूर्ति की मांग की है। खास बात यह है कि ब्रिटेन ने इस वैक्सीन पर अब सुरक्षा कारणों से रोक लगा दी है। कंपनी के इस स्वीकारोक्ति के बाद अब मुआवजा मांगने वालों की संख्या भी बढ़ सकती है।भारत में भी शुरू हो सकते हैं मुकदमेभारत में कोविड के बाद ऐसी मौतों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई थी, जिनमें कारण का स्पष्ट पता नहीं चला था। इनमें से अधिकांश को किसी न किसी शारीरिक समस्या से जोड़ कर देखा गया और सरकार व स्वास्थ्य जगत ने यह कभी नहीं माना कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के कारण ऐसा हो सकता है। अब कंपनी की इस स्वीकारोक्ति के बाद भारत में भी मुकदमों का दौर शुरू होने की संभावना है।

खून का थक्का जमने की बीमारी का कारण बन सकते हैं कुछ टीके

चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा है कि कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की स्थिति बन सकती है। उनका यह बयान फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका की ओर से अदालत के समक्ष इस स्वीकारोक्ति के बाद आया है कि उसकी ओर से विकिसत की गई कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया कुछ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती सुप्रीमकोर्ट से बड़ी खबर

टीटीएस का संबंध मस्तिष्क या अन्य भीतरी अंगों की रक्त वाहिकाओं में थक्का जमने एवं प्लेटलेट काउंट कम होने की बीमारी से है। एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ कोविड रोधी टीके विकसित किए थे। ब्रिटेन की कई मीडिया रिपोर्टों में कंपनी के टीके पर गंभीर बीमारियों और मौतों के कारण बनने के आरोप लगाए गए हैं। इस प्रकार की रिपोर्टें कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष जयदेवन ने कहा, हालांकि कोविड टीकों ने कई मौतों को रोकने में मदद की है, फिर भी इसके साइड इफेक्ट से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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