प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान -इंडिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि मैंने भारत की एक्ट-ईस्ट नीति की घोषणा की थी। पिछले एक दशक में इस नीति ने भारत और आसियान देशों के संबंधों को नई ऊर्जा, दिशा और गति दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरा मानना है कि 21वीं सदी इंडिया और आसियान देशों की सदी है।
आज जब दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और तनाव की स्थिति है, भारत और आसियान की मित्रता, संवाद और सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। पिछले 10 वर्षों में हमारा आसियान क्षेत्रों के साथ हमारा व्यापार लगभग दो गुना होकर 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। आज भारत ने 7 आसियान देशों के साथ डायरेक्ट फ्लाइट कनेक्टिविटी है और जल्द ही ब्रुनेई के साथ भी सीधी उड़ानें शुरू होंगी।
300 आसियान छात्रों को नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति से लाभ हुआ है
प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान के साथ विकास साझेदारी में भारत के मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को रेखांकित किया और बताया कि कैसे 300 आसियान छात्रों को नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति से लाभ हुआ है। उन्होंने कहा नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटी लॉन्च किया गया है। लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, म्यांमार, इंडोनेशिया में साझी विरासत और संरक्षण के लिए काम किया गया है। भारत ने कई क्षेत्रों में सहयोग के लिए भारत-आसियान विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोष, हरित कोष और डिजिटल कोष में 30 मिलियन डॉलर का योगदान भी दिया है। पीएम ने कहा कि भारत और आसियान पड़ोसी हैं, ग्लोबल साउथ में भागीदार हैं और दुनिया में तेजी से विकसित होने वाला क्षेत्र हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि हम शांतिप्रिय देश हैं, एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं और हम अपने युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। मेरा मानना है कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी है। आज, जब स्थिति है दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और तनाव के बीच, भारत और आसियान की दोस्ती, सहयोग, संवाद और सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है।
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