कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को संसद में महिला आरक्षण कानून पर बोलते हुए कहा कि उनकी पार्टी इसका समर्थन करती है। हालाँकि, इसने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी समुदायों की महिलाओं के लिए आरक्षण की भी मांग की। इस मौके पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर आरक्षण बनाना ही था तो निकाय और पंचायत चुनाव में भी बनता।
दरअसल, महिला आरक्षण बिल के मुताबिक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात है। यह आरक्षण चक्रीय आधार पर किया जाता है। हालांकि, सोनिया गांधी का कहना है कि इस 33 फीसदी में भी एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय की महिलाओं को आरक्षण दिया जाना चाहिए. इस मांग पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने जवाब दिया। आइए जानते हैं सोनिया गांधी और निशिकांत दुबे ने क्या कहा।
सोनिया गांधी ने क्या कहा?
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि ये मेरे जीवन का सबसे भावुक पल है। स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तय करने के लिए पहली बार संवैधानिक संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी के जरिए लाया गया था। हालांकि, ये राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पीएम पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में इस बिल को राज्यसभा में पास करवाया। इसकी वजह से 15 लाख महिलाएं स्थानीय स्तर पर चुनकर आईं। राजीव गांधी का सपना पूरी तरह से पूरा नहीं हुआ था। इस बिल के पेश होने के साथ उनका सपना पूरा होगा।
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि कांग्रेस इस बिल का समर्थन करती है। इस बिल के पारित होने से हमें खुशी है। मगर चिंता ये है कि भारतीय महिलाओं ने 13 साल तक इंतजार किया है। अब उन्हें राजनीतिक जिम्मेदारियों के लिए कुछ और साल इंतजार करने को कहा जा रहा है। मैं पूछना चाहती हूं कि अभी उन्हें कितने साल इंतजार करना होगा? क्या भारतीय महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार अच्छा है।
कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि उनकी पार्टी मांग करती है कि इस बिल को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। बिल को लागू करने में देरी महिलाओं के लिए अच्छी बात नहीं है। लेकिन बिल को लागू करने से पहले जातीय जनगणना भी करवाई जाए, ताकि एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था हो सके।
बीजेपी ने क्या जवाब दिया?
सोनिया की जातीय जनगणना और फिर महिला आरक्षण बिल में एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था वाली बात पर बीजेपी की तरफ से जवाब भी आ गया। संसद में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर आपको ओबीसी आरक्षण देना ही था, तो फिर आपने निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण क्यों नहीं दिया। संविधान के आर्टिकल में भी कहीं ओबीसी की बात नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि इन लोगों की सोच है कि संसद में परकटी महिलाओं को एंट्री नहीं मिलनी चाहिए। कांग्रेस ने खुद ही इस बिल को कई सालों तक लटकाए रखा है। इस बिल को कांग्रेस लेकर नहीं आई है, बल्कि इसे बीजेपी लेकर आई है। ये बिल बीजेपी और पीएम मोदी का है। गोल करने वाले को ही श्रेय दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लॉलीपोप बनाकर इस बिल को घुमाया है।
इसे भी पढ़े- पवन खेड़ा की कोर्ट में होगी पेशी, ट्रांजिट रिमांड पर असम ले जाएगी पुलिस