भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रमा पर इंसानों को भेजने की दिशा में बड़ी प्रगति की है। इसरो ने घोषणा की है कि चंद्रयान-3 के नियंत्रण में चंद्रमा पर उतरे विक्रम लैंडर ने एक सफल प्रयोग किया है। आदेश पर, लैंडर ने इंजन चालू किया, उड़ान भरी और कुछ दूरी पर सफलतापूर्वक उतर गया।
इसरो ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “विक्रम लेंडर ने अपने लक्ष्य को पार कर लिया है।” ISRO ने कहा कि आदेश मिलने के बाद, उसने इंजन चालू किया, उम्मीद के मुताबिक लगभग 40 सेमी ऊपर उठा और 30-40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित उतर गया।
मानव मिशन की दिशा में बड़ा कदम
इसरो ने इस प्रयोग को महत्वपूर्ण ‘किक-स्टार्ट’ बताते हुए आगे कहा, ये भविष्य के नमूना वापसी और मानव मिशनों के लिए उत्साहित करता है! ISRO ने बताया कि सभी सिस्टम ने अच्छी तरह से काम किया और लैंडर स्वस्थ है। प्रयोग के बाद तैनात रैंप, चेस्ट (ChaSTE) और आईएलएसए को वापस मोड़ा गया था और सफलतापूर्वक फिर से तैनात किया।
इसरो ने इस प्रयोग को महत्वपूर्ण ‘किक-स्टार्ट’ बताते हुए आगे कहा, ये भविष्य के नमूना वापसी और मानव मिशनों के लिए उत्साहित करता है! इसरो ने बताया कि सभी सिस्टम ने अच्छी तरह से काम किया और लैंडर स्वस्थ है। प्रयोग के बाद तैनात रैंप, चेस्ट (ChaSTE) और आईएलएसए को वापस मोड़ा गया था और सफलतापूर्वक फिर से तैनात किया।
क्यों खास है ये उपलब्धि ?
चांद पर मानव मिशन भेजने में सबसे बड़ी मुश्किल वहां उतरने के बाद इंसान की धरती पर वापसी है। दरअसल, चांद पर उतरने के बाद वापस आने के लिए वहां मौजूद यान को चांद की सतह से प्रक्षेपित करके चांद के ऑर्बिट तक पहुंचाना होता है। जहां दूसरा मॉड्यूल उसका इंतजार कर रहा होता है। यहां दोनों को कनेक्ट कर दिया जाता है और फिर वापस पृथ्वी की यात्रा शुरू होती है। अमेरिका की तरफ से भेजे गए अपोलो मिशनों में इसी प्रक्रिया को अपनाया गया था।
ISRO का लक्ष्य भी भविष्य में चांद पर इंसानों को भेजना है। चंद्रयान-3 के लैंडर ने सतह से ऊपर उठकर इसरो की उम्मीद को पंख दिए हैं। इस प्रयोग ने साबित किया है कि इसरो भी चांद पर अपने यान को लिफ्ट ऑफ कराने की क्षमता रखता है।
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