Wednesday, April 23, 2025
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भारत – चीन के झगड़े में रूस किसके साथ है? जवाब आपको चौंका देगा

भारत और चीन के बीच में जबरदस्त विवाद रहा है। हाल के कुछ दिनों को छोड़ दें तो एक लंबे अंतराल तक दोनों देशों के बीच कड़वाहट की खाई बढ़ती चली गई। गलवान की घटना के बाद से दोनों देश एक दूसरे के सामने तनकर खड़े थे। भारत लगातार चीन के सामने ये संदेश दे रहा था कि ईंट का जवाब वो पत्थर से ही देगा। हालांकि अब जब भारत और चीन के बीच एक बार फिर से बातचीत शुरू हो गई है। सहयोग शुरू हो गया है।

सीमाओं पर तनाव वाली जगह से सैनिक पीछे हटने लगे हैं। ऐसे में रूस से भी भारत और चीन के बीच तनाव को लेकर सवाल पूछा गया। इंडिया टु़डे कॉन्क्लेव में शामिल होने आए रूसी राजदूत डैनिश आल्पोव से जब ये सवाल पूछा गया कि भारत और चीन में वो किसका पक्ष लेंगे। उन्होंने जवाब में कहा कि देखिए हम भिड़ंत को लेकर नहीं। सहयोग को लेकर सोच रहे हैं। हम चाहते हैं कि दुनिया मिलकर रहे यही अच्छा है। यूरेशिया कॉन्टिनेंट में चीन, भारत और रूस तीन बड़े देश हैं। तीनों के बीच ट्राइलेंट्रल फॉर्मेट अच्छा है।

रूस ने ये भी साफ किया कि हम किसी का पक्ष नहीं लेते

रूसी राजदूत ने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत और चीन के बीच विश्वास बढ़े, यही हम चाहते है। इसके साथ ही रूस ने ये भी साफ किया कि हम किसी का पक्ष नहीं लेते। रूसी राजदूत ने कहा कि हम वो अच्छी लॉबी बन सकते हैं। अगर दोनों पक्षों को कोई जरूरत महसूस होती है, तो यही हमारी राय है। यकीनन यहां एक बड़ी प्रतिस्पर्धा है। लेकिन ये अच्छे पक्ष में है। रूसी राजदूत अलीपोव ने भारत-रूस संबंधों की ऐतिहासिक जड़ों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारे संबंध बहुत पुराने और ठोस हैं। भारत की विदेश नीति में अपने लोगों प्राथमिकता झलकती है। हमारे लिए अपने मापदंड हैं। इस दौरान चीन भारत संबंधों पर अलीपोव ने कहा कि हम शांति चाहते हैं। हम तनाव नहीं चाहते।

रूस लगातार इस बात को कहता रहा है कि भारत और चीन के बीच में सहयोग बढ़ना चाहिए। अगर दोनों देशों को कोई ऐसी जरूरत पड़ती है, जिसमें तीसरा कोई देश मदद कर सके तो रूस खुशी के साथ ये काम करेगा। हालांकि रूस बार बार ये जवाब देता रहा है कि उसकी चाहत है कि भारत चीन के बीच सहयोग बड़ जाए। ऐसा होने से रूस की भी कई महत्वकांक्षाएं पूरी हो जाती हैं। भले ही भारत और चीन के बीच में तनाव कम होगा तो रूस के हथियार खरीद पर असर पड़ सकता है। लेकिन भारत, रूस और चीन एक साथ इस ट्राइलेट्रल फॉर्मेट को आगे बढ़ा सकते हैं तो फिर पूरे यूरोप से लेकर अमेरिका तक की चिताएं बढ़ जाएंगी और इससे रूस के कई काम आसान हो जाएंगे।

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