Wednesday, April 23, 2025
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अगर ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग है, ये साबित हो गया तो क्या होगा जानिए?

वाराणसी, खबर संसार। अगर ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग है, ये साबित हो गया तो क्या होगा जानिए? अगर इस सवाल को देश के संविधान और कानून के अनुसार जवाब दिया जाए तो शायद आपकी शंका का हल मिल सकता है।

ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर शिवलिंग मिलने के दावे के बाद देश की सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के डीएम को निर्देश दिया है कि वह इस जगह को पूरी तरह से सुरक्षित किया जाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि उस जगह को सुरक्षित रखने के साथ ही मुसलमानों को मस्जिद में जाने के अधिकार और नमाज को पढ़ने के अधिकार से कतई वंचित ना किया जाए।

सोमवार को स्थानीय कोर्ट ने आदेश दिया था कि मस्जिद के भीतर सिर्फ 20 मुसलमानों को ही नमाज पढ़ने के लिए जाने दिया जाए, लेकिन उन्हें अंदर उस जगह पर वजू करने की इजाजत नहीं होगी जहां पर शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है।

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शिवलिंग साबित होने पर भी नहीं बन सकता है मंदिर

हालांकि कोर्ट ने मस्जिद के भीतर सर्वे का आदेश दिया था, लेकिन मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह 1991 के वर्शिपएक्ट का उल्लंघन है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में देश की संसद ने यह कानून बनाया था।

उस वक्त देश में रामजन्मभूमि आंदोलन चल रहा था। भाजपा ने उस वक्त इस बिल का विरोध किया था। इस एक्ट के अनुसार 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल के प्राकृतिक स्वरूप को बदला नहीं जा सकता है। चूंकि बाबरी मस्जिद का मामला कोर्ट में लंबित था इसलिए उसे इस एक्ट से अलग रखा गया था।

अगर एएसआई के पास जाती है मस्जिद

यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि 1991 एक्ट के अनुसार अगर कोई स्मारक या बिल्डिंग 100 से अधिक पुरानी है तो एएसआई इसे संरक्षित कर सकता है। लेकिन एएसआई इसके स्वरूप में बदलाव नहीं कर सकता है और ना ही यह फिर किसी धर्म विशेष से जुड़ा रहेगा। नियम के अनुसार अगर कोई स्मारक एएसआई के पास जाती है तो वहां पर धार्मिक कार्यक्रम नहीं हो सकते हैं।

यानि ज्ञानवापी मस्जिद अगर एएसआई के पास जाती है तो वहां ना तो नमाज हो सकती है और ना ही पूजा और ना ही इसे मंदिर में तब्दील किया जा सकता है। हालांकि एएसआई कुछ सीमित लोगों को इसके भीतर नमाज और पूजा की अनुमति दे सकता है, जैसा की ताजमहल और उन्नाव के पास स्थित एक मंदिर के मामले में होता है।

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