जाने, कोर्ट मैरिज और सिविल मैरिज में क्या है अंतर? जाने क्या है प्रोसेस? भारत में हिंदू धर्म से लेकर अन्य धर्मों तक में शादी-विवाह को लेकर विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाज बनाए गए हैं, जिनका सामाजिक प्रचलन बहुत ज्यादा है। लिहाजा, इन्हीं मान्यताओं और परम्पराओं के तहत भारतीय युवक और युवती का विवाह संपन्न होता है। जहां हिंदू धर्म में अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए जाते हैं, वहीं मुस्लिम संप्रदाय में मौलवी के द्वारा निकाह पढ़ा जाता है।
इसी तरह से अन्य धर्मों में भी शादी-विवाह को लेकर अलग-अलग नियम बने हुए हैं, जो प्रचलित हैं। वहीं, धर्म के साथ-साथ हमारे संविधान में भी इसको लेकर कई नियम कानून बनाए गए हैं, जिसके तहत शादी-शुदा लोगों के बीच बहुधा उतपन्न होने वाली समस्याएं सुनी जाती हैं। भारत में एक-दूसरे विपरीत लिंगी से शादी-विवाह करने को लेकर भी कई कानून बनाए गए हैं, जिनमें कोर्ट मैरिज और सिविल मैरिज प्रमुख हैं।
सिविल मैरिज और कोर्ट मैरिज में क्या है अंतर
कोर्ट मैरिज और सिविल मैरिज एक्ट 1954 के मुताबिक, कोर्ट मैरिज एक या अन्य जाति, धर्म के युवक-युवती के बीच न्यायालय में होता है। जबकि सिविल मैरिज दो लोगों की आपसी सहमति से बिना कोर्ट की मदद से गांव-समाज में प्रचलित परम्पराओं के तहत होती है। हमारे देश में प्रावधान है कि विवाहित जोड़ी यानी कपल किसी भी सक्षम सरकारी ऑफिस में जाकर सिविल मैरिज कर अपनी शादी-विवाह को रजिस्टर करवा सकता है।
जानिए, क्या होता है कोर्ट मैरिज में
कोर्ट मैरिज बिना किसी परंपरागत समारोह व रीति-रिवाज के न्यायालय में मैरिज ऑफिसर के सामने कराई जाती है। यह विवाह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत संपन्न कराई जाती है। कोर्ट मैरिज किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय के बीच के युवक-युवती के बीच पारस्परिक सहमति के बाद हो सकती है। यहां तक कि इसमें एक विदेशी युवक-युवती और दूसरा इंडियन युवक-युवती भी हो सकता है।
खास बात यह है कि इस तरह के मैरिज में किसी भी प्रकार की धार्मिक पद्धति या रीति-रिवाज नहीं अपनाई जाती है। कोर्ट मैरिज में रजिस्ट्रार के सामने सिर्फ तीन गवाहों की मौजूदगी अनिवार्य होती है। शर्त बस यह कि ऐसी शादी-विवाह के लिए आवेदन करने वाले युगल जोड़ी (कपल) में से किसी की भी पहले से शादी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, दूल्हे की उम्र 21 वर्ष और दुल्हन की उम्र 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए। इन पात्रताओं को पूरा करने के बाद कोर्ट मैरिज में किसी को दिक्कत नहीं आती है।
जानिए, क्या होता है सिविल मैरिज में
वहीं, सिविल मैरिज के अंतर्गत युगल जोड़ी (कपल्स) बिना किसी न्यायालय के ही शादी-विवाह कर सकते हैं। इस प्रकार के विवाह के दौरान दो लोगों की सहमति सबसे ज्यादा महत्व रखती है। इसके अंतर्गत आप किसी भी सक्षम सरकारी कार्यालय में जाकर शादी-विवाह कर सकते हैं। इस तरह के विवाह में प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट) आवश्यक होता है। इस तरह से संपादित सिविल विवाह को भी कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह युगल जोड़ी मतलब कपल्स को कानूनी सुरक्षा और लाभ प्रदान करता है। इसमें संपत्ति का अधिकार, विरासत लाभ, कर लाभ, स्वास्थ्य सेवा और अन्य लाभ भी शामिल है।
जानिए, कोर्ट मैरिज में किन-किन डॉक्यूमेंट्स की होती है जरूरत
- पहला, कंप्लीट आवेदन पत्र।
- दूसरा, कोर्ट मैरिज के लिए लगने वाली फीस, जो हर राज्य में अलग-अलग होती है।
- तीसरा, दूल्हा-दुल्हन के पासपोर्ट साइज चार-चार फोटोग्राफ।
- चौथा, पहचान प्रमाण पत्र के रूप में आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी।
- पांचवां, जोड़े की दसवीं या बारहवीं की मार्क्सशीट।
- छठा, लड़का-लड़की दोनों के जन्म-प्रमाण पत्र (बर्थ सर्टिफिकेट)।
- सातवां, शपथ पत्र, जिससे यह साबित हो कि दूल्हा-दुल्हन में कोई भी किसी अवैध रिश्ते में नहीं है। आठवां, गवाहों की फोटो व पैन कार्ड।
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