जी, हां रूस और यूक्रेन के बीच 900 से भी अधिक दिनों से जंग जारी है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल रूस के दौरे पर जाने वाले हैं। कहा जा रहा है कि एनएसए डोभाल भारत का शांति प्रस्ताव लेकर रूस के दौरे पर जा रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी डोभाल मुलाकात करेंगे। जब पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से फोन पर बात की थी। उसी दौरान पीएम मोदी ने एनएसए को रूस दौरे पर भेजने की बात कही थी।
आपको बता दें कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने में जुटा है और हर पक्ष से बातचीत कर रहा है। अजित डोभाल ब्रिक्स देशों के एनएसए स्तर की बैठक में हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही संभावना ये भी जताई जा रही है कि ब्रिक्स बैठक के साइडलाइन में वे रूस-यूक्रेन संघर्ष को खत्म करने कि दिशा में शांति प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। डोभाल की यात्रा इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे में विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ-साथ वो भी मौजूद थे।
यूक्रेन को भी उम्मीद भारत ही रुकवा सकता युद्ध
23 अगस्त को ही यूक्रेन के राष्ट्रपति ये कहते हैं कि इस जंग को केवल भारत ही रुकवा सकता है। क्योंकि पुतिन पर भारत का काफी प्रभाव है। इस बयान के करीब 15 दिनों के भीतर पुतिन ने भारत को लेकर बड़ा बयान दे दिया। जिससे रूस और यूक्रेन के बीच शांति की कोशिशें शुरू हो सकती हैं। रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि वो जंग के बीच यूक्रेन से बातचीत को तैयार हैं। व्लादिमीर पुतिन ने ये कहा कि यूक्रेन के साथ बातचीत को वो तैयार हो सकते है। मध्यस्थता के लिए उन्होंने तीन देशों के नाम भारत, चीन और ब्राजील लिए। यानी पीएम मोदी की तरफ से जो कोशिशे की गई थी, उसे पुतिन की मध्यस्थता के इस विकल्प से बल मिलता है।
पीएम नरेंद्र मोदी की मॉस्को, कीव यात्राओं के बाद यूक्रेन संघर्ष का समाधान खोजने में भारत की संभावित भूमिका की मांग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस हफ्ते रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। डोभाल ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत- चीन-दक्षिण अफ्रीका) यूक्रेन संघर्ष समूह के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सम्मेलन में हिस्सा पर भी चर्चा होने की संभावना लेंगे। बैठक 10 और 11 सितंबर को मॉस्को में होगी। बैठक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच शाति वार्ता को लेकर नए सिरे से जारी प्रयासों के बीच हो रही है।
युद्ध संकल्प पर भारत की शांति वाली नीति
पीएम मोदी की विदेश नीति के आलोचकों ने सुझाव दिया है कि उनकी 23 अगस्त की यूक्रेन यात्रा पश्चिम के साथ संबंधों को संतुलित करने का एक प्रयास था। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने 2021 में ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान मोदी को निमंत्रण दिया था। युद्ध छिड़ने के कारण प्रधानमंत्री की यात्रा में देरी हुई थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत का प्राथमिक उद्देश्य युद्ध समाप्त करना है, न कि रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करना। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और रूसी राष्ट्रपति पुतिन दोनों के साथ पीएम की हालिया बातचीत को राजनयिक संतुलन अधिनियम के बजाय संघर्ष समाधान को सुविधाजनक बनाने के भारत के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए।
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