नई दिल्ली, खबर संसार। सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना पर दावे को लेकर सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट ने बुधवार को कहा कि हम लोगों ने पार्टी नहीं छोड़ी है। एकनाथ शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में दल-बदल कानून तो लागू ही नहीं होता है।
यह तभी लगता है, जब विधायक अथवा सांसद किसी दूसरे दल में जाएं या फिर पार्टी को छोड़ दें। एकनाथ शिंदे गुट के विधायक सिर्फ पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं और अलग गुट के तौर पर दावा ठोक रहे हैं क्योंकि बहुमत उनके साथ है। सांसद और विधायकों का बहुमत एकनाथ शिंदे गुट के साथ है।
उन्होंने कहा कि यह मामला पार्टी से अलग होने का नहीं है बल्कि पार्टी के अंदर ही तनाव और फेरबदल की मांग का है। वहीं उद्धव ठाकरे गुट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि बागी विधायक पार्टी पर दावा नहीं कर सकते। अब भी एक तिहाई विधायक पार्टी के साथ हैं।
सिब्बल बोले- गुवाहाटी से नहीं ठोक सकते दावा
कपिल सिब्बल ने दलील दी, ‘आप यह दावा नहीं कर सकते हैं कि आप राजनीतिक दल हैं। आप यह बात गुवाहाटी में बैठकर कह रहे हैं कि आप राजनीतिक दल हैं। इसका फैसला चुनाव आयोग की ओर से किया जाता है। आप गुवाहाटी में बैठकर इसका ऐलान नहीं कर सकते।’ अभिषेक मनु सिंघवी ने भी शिंदे का पक्ष रखते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे गुट के पास बचने का एक ही तरीका है कि वे भाजपा के साथ विलय कर लें, जो नहीं कर रहे हैं। इस बीच चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी है।
इन तर्कों क जवाब देते हुए हरीश साल्वे ने कहा, ‘भारत में हम राजनीतिक दलों को कुछ नेताओं के नाम से जानते हैं। हमारा ताल्लुक शिवसेना से है। हमारे मुख्यमंत्री ने हमसे मिलने से ही मना कर दिया। हम मुख्यमंत्री बदलना चाहते थे। यह पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं है बल्कि पार्टी के अंदर की एक लड़ाई है।’ उन्होंने कहा कि यदि बड़ी संख्या में विधायक सीएम के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं तो फिर वे बदलाव की मांग क्यों नहीं कर सकते हैं।
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