यूपी के अयोध्या में राम मंदिर में राम लला की मूर्ति के अभिषेक समारोह में पुजारियों के समूह का नेतृत्व करने वाले वाराणसी के वैदिक विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित का शनिवार को निधन हो गया। दीक्षित, जो 86 वर्ष के थे, ने सुबह 6:45 बजे अंतिम सांस ली।
दीक्षित हिंदू समुदाय के प्रति अपनी गहरी निष्ठा के साथ-साथ अपने नेतृत्व के लिए भी जाने जाते थे। एक वैदिक ‘कर्मकांड’ (अनुष्ठान) विद्वान, उन्हें रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को संपन्न करने के लिए वेदों की सभी शाखाओं के 121 विद्वानों की एक टीम का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था।
वाराणसी के मूल निवासी दीक्षित कथित तौर पर 17वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित काशी विद्वान गागा भट्ट के वंशज थे, जिन्होंने लगभग 350 साल पहले 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का नेतृत्व किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य दीक्षित के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री ने आचार्य दीक्षित के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया
एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि दीक्षित का निधन समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने लिखा कि देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला। दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे। काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य दीक्षित के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों और अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति
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