सूरत, खबर संसार। जी, हां एक साल बाद फिर ट्विन टावर वाला नजारा देखने मिला जब गुजरात के सूरत में आज एक पावर स्टेशन के 30 साल पुराने कूलिंग टावर को विस्फोट से गिराया गया। 85 मीटर ऊंचे और 72 मीटर व्यास की चौड़ाई वाला आरसीसी टावर महज कुछ सेकेंड में जमींदोज हो गया।
टावर गिरने का नजारा कुछ वैसा ही था जैसा कि पिछले साल दिल्ली के करीब नोएडा में दिखा था, जहां ट्विन टावर को विस्फोट से उड़ाया गया था। गैस से चलने वाले उतरन पावर प्लांट में मौजूद इस टावर को 11:10 बजे गिराया गया। अधिकारियों ने बताया कि इसे गिराने के लिए 220 किलो विस्फोटक लगाया गया था। महज 7 सेकेंड में टावर जोरदार आवाज के साथ जमीन पर गिरा।
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— kalpesh (@kalpesh1234578) March 21, 2023
तापी नदी के किनारे स्थित टावर को गिराने से पहले आसपास के इलाके को खाली करा लिया गया था। लोगों को कम से कम 250-300 मीटर दूर रखने के लिए बैरिकेडिंग की गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि विस्फोटकों को कॉलम में ड्रिल करके डाला गया था। इसके लिए विशेषज्ञों की मदद की ली गई थी।
अडिशनल चीफ इंजीनियर आरआर पाटिल ने कहा, ‘यह टावर गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिस्टी कॉर्पोरेशन के 135 MW पावर प्लांट का हिस्सा था और कूलिंग के लिए इसका इस्तेमाल होता था। यह 85 मीटर ऊंचा था और नीचे इसका व्यासा 72 मीटर था।’ उन्होंने बताया कि इसका निर्माण 1993 में किया गया था। टेक्निकल और कॉमर्शियल वजहों से इसे गिराना जरूरी हो गया था। 2017 में इसे गिराने की मंजूरी मिली और सितंबर 2021 में ध्वस्तीकरण का काम शुरू किया गया था।’
28 अगस्त, 2022 को गिराया गया था ट्विन टॉवर
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, सुपरटेक ट्विन टॉवर को 28 अगस्त, 2022 को गिरा दिया गया। नोएडा सेक्टर 93 A में स्थित, सुपरटेक ट्विन टॉवर को भारी मात्रा में विस्फोटक का इस्तेमाल करके गिराया गया। लगभग 700-800 करोड़ रुपये में बने सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने में मात्र 10-12 सेकंड का समय लगा। सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने के लिए लगभग 17.55 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।
दरअसल, सुपरटेक की इस प्रॉपर्टी पर करीब डेढ़ दशक से विवाद चल रहा है। नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए भूमि का आवंटन 23 नवंबर 2004 को किया गया था। सालों की कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था।
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