नीरज चोपड़ा को जब मिली आर्मी की नौकरी, कहा-परिवार में आज तक… पेरिस ओलंपिक में जैवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा के जीवन की कहानियां बेहद दिलचस्प हैं। आज जिस नीरज चोपड़ा को हम देख रहे हैं, वह बचपन में वैसे नहीं थे। बचपन में उनका वजन ज्यादा था, इसलिए बच्चे उनका मजाक उड़ाया करते थे।
हालत यह थी कि उनके मोटापे से उनके परिवार वाले भी परेशान थे। असल में, मोटापा कम करने के लिए उन्होंने स्टेडियम जाना शुरू किया और धीरे-धीरे उनकी रुचि भाला फेंकने में हो गई। उनका मन इसी खेल में ऐसा रम गया कि वह ओलंपिक तक पहुंच गए।
ऐसे मिली थी आर्मी में नौकरी
नीरज चोपड़ा ने राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते। वर्ष 2016 में पोलैंड में हुए आईएएएफ वर्ल्ड यू-20 चैंपियनशिप में नीरज ने गोल्ड जीतकर देश का दिल जीत लिया। इस प्रतियोगिता में नीरज ने 86.48 मीटर दूर भाला फेंका था, जिसके बाद सरकार ने उन्हें इनाम में भारतीय आर्मी में नौकरी दे दी। उन्हें राजपूताना रेजिमेंट में बतौर जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) के पद पर नियुक्त किया गया। टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्हें प्रमोट करके नायब सूबेदार का पद दे दिया गया।
नौकरी मिलने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं था
भारतीय सेना में सरकारी नौकरी मिलने के बाद नीरज चोपड़ा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। नौकरी मिलने के बाद उन्होंने अपने इंटरव्यू में इस खुशी का इजहार भी किया। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में आज तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली है और वह अपने संयुक्त परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं, जो सरकारी नौकरी करने जा रहे हैं। उन्होंने इसे अपने और अपने परिवार के लिए बहुत खुशी की बात बताया। उस समय उन्होंने कहा था कि इससे वह अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकेंगे और अब उन्होंने ऐसा कर भी दिखाया।
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