भारतीय संस्कृति में हर परंपरा के पीछे गहरा वैज्ञानिक कारण जुड़ा होता है। ऐसे ही नियमों में एक है भोजन के बाद हल्की चहल-कदमी करना। शास्त्रों में ‘शनैः शनैः चंकर्मणं’ का उल्लेख मिलता है, जिसका अर्थ है—खाना खाने के बाद थोड़ा चलना चाहिए। चरक संहिता में तो भोजन के बाद कम से कम 100 कदम चलने की सलाह दी गई है, जिसे शतपावली कहा जाता है। माना जाता है कि यह न सिर्फ पाचन क्रिया को सक्रिय रखती है, बल्कि मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियों से भी बचाव करती है।
आयुर्वेद के अनुसार भोजन के बाद चलने के फायदे
आयुर्वेद बताता है कि भोजन के बाद हल्की चाल से पाचन अग्नि तेज होती है, जिससे भोजन बेहतर तरीके से पचता है और मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है। इससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है और भोजन का रस कोशिकाओं में ठीक से अवशोषित होता है। आधुनिक शोध भी यह साबित कर चुके हैं कि भोजन के तुरंत बाद 10–15 मिनट टहलना ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में बेहद लाभकारी है।
खाने के बाद भूलकर भी न करें ये काम
प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि भोजन के बाद तुरंत लेटना या बैठे रहना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे पेट पर दबाव पड़ता है, गैस, अपच और मोटापे की समस्या बढ़ती है। इसके उलट, भोजन के बाद हल्की चहलकदमी शरीर को सक्रिय रखती है और दीर्घायु का कारण मानी गई है।
क्या भोजन के बाद सोना चाहिए? आयुर्वेद की राय
आयुर्वेद के अनुसार भोजन के बाद तुरंत सोना या बिना हिले-डुले बैठ जाना वात, पित्त और कफ को असंतुलित करता है। इससे शरीर में भारीपन बढ़ता है और पाचन तंत्र कमजोर होता है। लंबे समय में यह आदत मोटापा, सुस्ती और पाचन विकारों का कारण बन सकती है।
खाने के बाद पेट पर हाथ फेरने की परंपरा
वैदिक मान्यताओं में भोजन के बाद पेट पर हल्के हाथ घुमाना अत्यंत लाभकारी बताया गया है। दक्षिणावर्त दिशा में हाथ फेरते हुए विशिष्ट मंत्र का जप पाचन को बेहतर बनाता है और पेट में गर्माहट बढ़ाता है। यह क्रिया पाचन अग्नि को सक्रिय करती है और भोजन को सही ढंग से पचाने में सहायक होती है।
यह भी पढ़ें- Anushka ने प्यूमा पर लगाया बिना परमिशन फोटो इस्तेमाल करने का आरोप
हमारे फ़ैज़ी वेबसाइट से जुड़ने के लिए क्लिक करें



