खबर-संसार नई दिल्ली।पार्षदी बचाने हेतु कोर्ट में झूठी कहानी कोर्ट ने कहा झूठ जी हा एक महिला पार्षद नेता ने अपनी पार्षदी बचाने के लिए कोर्ट में झूठी कहानी रची कि उसके दो ही बच्चे हैं मुंबई हाई कोर्ट ने उसकी पार्षदी ही रद्द कर दी झूठी कहानी पर। इस निर्णय को चैलेंज किया महिला पार्षद ने सुप्रीम कोर्ट में। महिला पार्षद को सुप्रीम कोर्ट से भी मुंह की खानी पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते अपने बच्चे को पराया नहीं बताना चाहिए ये टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने शिवसेना की महिला नेता की अयोग्यता को बरकरार रखा ।
बताते चले की महाराष्ट्र के शोलापुर नगर निगम में पार्षद के रूप में उसके चुनाव को 2 से अधिक बच्चों के कारण रद्द कर दिया गया था जस्टिस एसके कॉल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने अनीता मागर द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा अपने बच्चे को सिर्फ इसलिए नकार दिया क्योंकि आप पार्षद बने रहना चाहती थी।
इधर अनीता मागर पार्षद ने दावा किया कि उसके केवल दो ही जैविक बच्चे हैं तीसरा बच्चा पति के भाई का है उनके वकील ने की कोर्ट से बच्चे के हित में हस्तक्षेप करने की मांग की है क्योंकि अब माता-पिता पर सवाल खड़ा हो गया है