खबर संसार हल्द्वानी.आर्यन्द्र शर्मा ने ईमानदारी की मिसाल कायम की एक लाख का चैक लोटाकर. जी हा दरअसल 25 जुलाई 2009 को आर्येन्द्र ष्षर्मा को एक लाख का सेल्फ पेयी चेक मिला। उन्होंने ईमानदारी दिखाते हएु इस कूर्मांचल नगर सहकारी बैंक लिमिटेड को सौंप दिया। तत्कालीन बैंक प्रबंधन व कर्मचारियों ने उनकी सराहना की
आर्यन्द्र शर्मा ने ईमानदारी की मिसाल कायम की एक लाख का चैक लोटाकर
पाठकों को बताये चले कि संघर्षों व ईमानदारी की मिसाल हैं आर्येन्द्र शर्मा भौतिकवाद के युग में हल्द्वानी में आज भी ऐसे चन्द लोग हैं जो समाज सेवा के साथ-साथ मानवीय गुणों से ओतप्रोत हैं। साथ ही उन्होंने अपने जीवन में कभी भी ईमानदारी से समझौता नहीं किया। इसके कारण आज भी लोग उनका उदाहरण देने में पीछे नहीं रहते हैं। जी हां, यह कथन हल्द्वानी के चित्रकार व पेंटिग कला के उस्ताद आर्येन्द्र शर्मा पर सत्य चरितार्थ होता है
हल्द्वानी के चित्रकार व पेंटिग कला के उस्ताद आर्येन्द्र शर्मा पर सत्य चरितार्थ
पेशे से चित्रकार व पेन्टिंग कला के व्यवसायी आर्येन्द्र षर्मा का जीवन संघर्षों से तपा हुआ है। उनके पापा मूल रूप से एटा निवासी भूदेव षर्मा रोडवेज में फौरमैन के पद पर रहने के दौरान विभिन्न स्थानों पर रहे। बांदा रोडवेज डिपो में रहने के दौरान वे बच्चों को लेकर हल्द्वानी आ गये और 1965 से उनका परिवार भी यहीं का होकर रह गया। विदित हो कि हल्द्वानी में आर्येन्द्र शर्मा र्मा ने अपने व्यवसाय की षुरूआत खान चन्द मार्केट में आर्येन्द्र आर्ट सेंटर के नाम से षुरू की। लगभग 40 वर्षों तक उन्होंने अंसंख्य पेंटिंग कला के कार्य किये। उन्हें अपने कार्यों में इतनी सिद्धहस्तता थी कि लोग उनकी कारीगरी के कायल रहे। वे बताते हैं कि जो एक बार भी उनसे सेवा लेता था, बार-बार वह उनके पास आता था। हल्द्वानी के पुराने जानकारों का कहना है कि अपने कार्य के अलावा साथ उनका जीवन सामाजिक सरोकारों से अधिक जुड़ा रहा। साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार से कभी समझौता नहीं किया। वहीं उन्होंने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए उन्हें कोर्ट तक खींच डाला। आर्येन्द्र षर्मा के समाजसेवा के कार्यों की लंबी फेरहिस्त है। उन्होंने मुक्तिधाम राजपुरा, द नेषनल फॉर ब्लाइंड(नैब) गौलापार, कुष्ठ आश्रम, मन्दिरों में निषुल्क लिखाई का कार्य किया। विकलांग, विधवा व वृद्धावस्था पेंषन के लिए सैकडों लोगों की सहायता की। लोगों की चिता बनाने में भी उनका अमूल्य सहयोग रहा। साथ ही कुष्ठ आश्रम में पंखों आदि का वितरण किया। सड़क हादसे में घायल मरीजों को अपने खर्चे से अस्पताल पहंचाना, अस्पताल में मरीजों की सेवा करने, वहीं असहाय मरीजों का मल-मूत्र उठाने, निर्धन, असहाय व दूरराज के मरीजों का अन्तिम संस्कार कराने, राष्ट्रीय आपदा के समय भी वह पीएम राहत कोष आदि में भी वह धनराषि देने में पीछे नहीं हटे। उन्होंने 1993 में लातूर महाराष्ट्र में भूकंप, 2001 में गुजरात के भुज में भूकंप, 2005 में सुनामी, 2013 में केदारनाथ और 2020 में कोरोना महामारी आने पर प्रधानमंत्री राहत कोष में धनराषि प्रदान की। उन्होंने टीम अन्ना के आंदोलन के दौरान निषुल्क लिखाई का कार्य किया.