जी, हां हल्द्वानी रेलवे ट्रैक के पास अतिक्रमण हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्प्णी करते हुए कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि जो वहां रह रहे हैं, वो इंसान हैं, और वे दशकों से रह रहे हैं। इन मामलों में अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं। अदालतों को भी संतुलन बनाए रखने की जरूरत है और राज्य को भी कुछ करने की जरूरत है।
रेलवे ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अगर आप लोगों को बेदखल करना चाहते हैं तो नोटिस जारी करें, जनहित याचिका के सहारे क्यों? इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। वहीं रेलवे की तरफ से कहा गया कि वो वंदे भारत ट्रेन वहां चलाना चाहता है। इसको लेकर प्लेटफॉर्म को बढ़ाने की जरूरत है।
दरअसल पिछले साल जनवरी में हल्द्वानी में नियोजित बेदखली अभियान से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी थी। इस मामले की अगली सुनवाई अब 11 सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम रेलवे की बात के समझ रहे है लेकिन इसमें बैलेंस करने की जरूरत है।
इस मामले की अगली सुनवाई अब 11 सितंबर को होगी
हम बस ये जानना चाहते हैं कि पुनर्वास को लेकर क्या योजना है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेलवे ने रिकॉर्ड पर कहा है कि उन्हें अपनी जमीनों के बारे में जानकारी नहीं है। आगे बढ़ने का एक रास्ता है। हमें आगे बढ़ने का रास्ता खोजना होगा।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूरे मामले में पुनर्वास के लिए विकल्प तलाशने की जरूरत है। फॉरेस्ट एरिया को छोड़कर किसी दूसरे लैंड को लेकर विकल्प को तलाशने की जरूरत है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा इस मामले में जल्द करवाई की जरूरत है। 4365 घर हैं, वहां पर 50 हजार लोग रह रहे हैं। सुनवाई के दौरान हमें कुछ वीडियो और फोटो दिए गए। कई परिवार वाला कई सालों से रह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार को एक पॉलिसी डिसीजन लेना चाहिए। उत्तराखण्ड के चीफ सेक्रेटरी और केंद्र सरकार का संबंधित विभाग के अधिकारी पुनर्वास योजना को लेकर आपस में बैठक करें। ये पुनर्वास योजना ऐसी हो जिसमें सब सहमत हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो परिवार प्रभावित हैं, उनकी तुरंत पहचान होनी चाहिए। चार हफ्तों के भीतर इस योजना पर काम हो जाना चाहिए। हम पांचवे हफ्ते में सुनवाई करेंगे। 11 सितंबर को मामले की सुनवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे ट्रैक के किनारे पर रह रहे लोगो को हटाने के मामले में रोक लगाने के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को रेलवे ट्रैक के किनारे रह रहे लोगो के पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए 4 हफ्ते में स्कीम बनाकर सुप्रीम कोर्ट में पेश करने को कहा है।
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