एक हफ्ते पहले 30 से 40 रुपये प्रति किलों में प्याज मिल रहा था। एक हफ्ते में 50 फीसदी तक प्याज महंगा हो चुका है। और दिसंबर में नए फसल के आने से पहले महंगे Onion से राहत मिलने की संभावना नहीं नजर आ रही है। प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकती है।
सरकार ने अपने बफर स्टॉक से एनसीसीएफ और नेफेड के जरिए Onion बेचने का ऐलान किया था।सरकार प्राइस स्टैबलाइजेशन फंड के जरिए प्याज का बफर स्टॉक भी खड़ा किया है जिससे Onion की कीमतों में तेज उछाल से आम उपभोक्ताओं को राहत दी जा सके।प्याज के एक्सपोर्ट पर नकले कसने के लिए 40 फीसदी का एक्सपोर्ट ड्यूटी भी लगा दिया गया।पर इसके बावजूद रिटेल मार्केट में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है।
महंगे Onion पर शुरू हुई राजनीति
प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी तब देखने को मिल रही है जब नवंबर, 2023 में उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव है।ये वो राज्य हैं जहां प्याज की खपत ज्यादा होती है।प्याज की कीमतों में तेज उछाल से सत्ताधारी दल को चुनावी नुकसान भी हो सकता है।विपक्षी दल कांग्रेस ने अभी से प्याज की कीमतों में उछाल के बाद अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
नहीं सफल हो पाई सरकार की TOP स्कीम
हर वर्ष आलू, प्याज, टमाटर की कीमतों में भारी उतार चढ़ाव देखने को मिलता है।इससे निपटने के लिए वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सरकार ने टमाटर, प्याज और आलू यानि TOP (Tomato, Onion Potato) के वैल्यू चेन को डेवलप करने के लिए ऑपरेशन फ्लड के तर्ज पर ऑपरेशन ग्रीन का ऐलान किया था जिसके लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।
बाद में कोविड के पहले लहर के दौरान आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा के दौरान इस योजना में सभी फलों और सब्जियों को शामिल कर दिया गया।फूड प्रोसेसिंग मिनिस्ट्री इस योजना को चलाने वाली नोडल एजेंसी है।हालांकि मंत्रालय के स्कीम को सही तरह से ऑपरेट करने पर सवालिया निशान उठते रहे हैं।इस बात के आसार हैं कि कृषि मंत्रालय को टॉप (TOP) स्कीम को सही क्रियान्वन के लिए सौंपा जा सकता है।
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