प्रचार में नेताओं की खूब चली जुबान, एग्जिट पोल पर घमासान जी, हां चुनावी मैराथन अब खत्म होने को है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल की तलाश में हैं, जिनका लक्ष्य अभूतपूर्व 400+ सीटें हैं। इस परिमाण की जीत भारत के पहले प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करेगी, और स्वतंत्रता के 100वें वर्ष, 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र में बदलने में मोदी की विरासत के लिए मंच तैयार करेगी।
विपक्ष ने भी ये चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ा है। विपक्ष दावा कर रहा है कि हमारी सरकार बनने जा रही है। हालांकि, एग्जिट पोल को लेकर भी राजनीति तेज हो गई है। हालांकि, हम इस लोकसभा चुनाव प्रचार के कुछ ऐसे तीखे बयानों की भी बात करेंगे जिसकी चर्चा खूब हुई।
भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
कांग्रेस ने कहा कि वह एक जून को एग्जिट पोल (चुनाव बाद सर्वेक्षण) से संबंधित टेलीविजन चैनलों की चर्चाओं में भाग नहीं लेगी, क्योंकि पार्टी टीआरपी के खेल का हिस्सा नहीं बनना चाहती। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि मतदाताओं ने अपना मत दे दिया है एवं मतदान के परिणाम मशीनों में बंद हो चुके हैं। चार जून को परिणाम सबके सामने होंगे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नज़रों में परिणाम घोषित होने से पहले किसी भी तरह के सार्वजनिक अनुमान लगा कर घमासान में भाग ले कर टीआरपी के खेल का कोई औचित्य नहीं है।
’’ खेड़ा ने कहा, ‘‘किसी भी बहस का मक़सद दर्शकों का ज्ञानवर्धन करना होता है। कांग्रेस पार्टी 4 जून से चर्चा में फिर से सहर्ष भाग लेगी।’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने शुक्रवार को दावा किया कि टेलीविजन चैनलों पर एक्जिट पोल की बहसों में भाग नहीं लेने का कांग्रेस का फैसला स्पष्ट पुष्टि है कि विपक्षी दल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में हार मान ली है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए शाह ने एक बयान में कहा कि जब से उन्होंने कांग्रेस के मामलों में अहम भूमिका निभानी शुरू की है, तब से कांग्रेस ‘नकारने के मोड’ में है।
चुनावी भाषणों की चर्चा
76 दिनों के दौरान नेताओं ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमला व कटाक्ष करने के लिए जिस प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल किया उसके लिए इस आम चुनाव को लंबे समय तक याद रखा जाएगा। इस चुनाव में ‘विष गुरु’, ‘अनुभवी चोर’, ‘दो शहजादे’ के अलावा ‘मंगलसूत्र, मुजरा, मटन, मछली’ सहित कई ऐसे शब्दों के जरिए आरोपों और प्रत्यारोंपों का दौर चला, जिसने खूब सुर्खियां बटोरी। साथ ही इन पर मीडिया के विभिन्न मंचों पर चर्चाहुई तथा इनके पक्ष व विपक्ष में तर्क भी गढ़े गए। इन वजहों से लोकसभा चुनाव की सरगर्मी पहले चरण से लेकर आखिरी चरण तक बनी रही।
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