नई दिल्ली खबर संसार: आज चैत्र नवरात्रि अर्थात मां की आराधना का दूसरा दिन है। आज भक्त मां दुर्गा के द्वितीय स्वरुप मां Brahmacharini की पूजा अर्चना कर रहे हैं।
Brahmacharini का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप करने वाली। मां के इस रूप की उपासना करने से सफलता ही मिलती है। मां के आशीर्वाद से तप त्याग और सदगुणों में वृद्धि होती है।
धार्मिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां Brahmacharini ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यही वजह है कि उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां Brahmacharini के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा -अर्चना करता है, उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधि-विधान…
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मां Brahmacharini की पूजा विधि
मां Brahmacharini की पूजा से पहले कलश देवता व भगवान गणेश की पूजा अवश्य करें। मां ब्रह्मचारिणी का आह्वान करें। मां को मिश्री, शक्कर या पंचामृत अर्पित करें. घी का दिया जलाकर मां की प्रार्थना करें। दूध, दही, चीनी, घी और शहद का घोल बनाकर मां को स्नान करवाएं। मां की पूजा करें और उन्हें पुष्प, रोली, चन्दन और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद बाएं हाथ से आचमन लेकर दाएं हाथ पर लेकर इसके ग्रहण करें। हाथ में सुपारी और पान लेकर संकल्प लें।
इसके बाद नवरात्र के लिए स्थापित कलश और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। मां ब्रह्मचारणी की पूजा से मंगल ग्रह की अशुभता को दूर करने में मदद मिलती है. ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं. जिन लोगों की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ है उन्हें मां ब्रह्मचारणी की पूजा करनी चाहिए.
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू।।