खबर संसार मुंबई।तो क्या भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे सकते !जी हा लगातार विवादों से नाता जुड़ने के चलते भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे सकते है। ऐसी संभावना जताई जा रही है। और ये खबर तेजी kr साथ वायरल हो रही है। खबर के बाबत जब कोश्यारी जी के नंबर पर फोन दो बार फोन लगाया तो उठा नही।
तो क्या भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे सकते !
बताए चले कि महाराष्ट्र में केवल 15 से 20 दिन पीछे की घटनाओं पर नजर दौड़ाएं तो समझना मुश्किल नहीं होगा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को उनके एक बयान पर घेरने की कोशिशें क्यों हो रही हैं? जो इस प्रकार था। हम जब पढ़ते थे, मिडिल स्कूल में, हाईस्कूल में, तो उस हमारे टीचर हमसे पूछते थे, आपका पसंदीदा लीडर कौन है? हम लोग उस समय, जिसे सुभाषचंद्र बोस अच्छे लगे, जिसे जवाहरलाल नेहरू अच्छे लगे, या जिसे महात्मा गांधी अच्छे लगते थे, उन्हें अपना हीरो बताते थे। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि कोई आपसे पूछे कि ‘हू इज योर आइकन, हू इज योर फेवरिट हीरो’, तो आपको बाहर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यहीं महाराष्ट्र में आपको मिल जाएंगे। शिवाजी तो पुराने युग की बात हैं, नए युग की बात बोल रहा हूं, यहीं मिल जाएंगे डा. भीमराव आंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक, यहीं मिल जाएंगे आपको आपके आइकन।’ बीते दिनों औरंगाबाद में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने यही कहा था, जिस पर बवाल मचा और वह कई दिनों तक कायम रहा। आखिर इसमें भगत सिंह कोश्यारी ने मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान कैसे किया? निश्चित रूप से हिंदी और मराठी के कुछ शब्दों के प्रयोग में अक्सर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। लेकिन यहां तो राज्यपाल ने जो कहा उसमें कहीं भी छत्रपति शिवाजी महाराज के अपमान का तनिक भी बोध नहीं हो रहा है। उन्होंने ऐसा तो कहीं नहीं कहा कि शिवाजी पुराने युग की बात हैं, उन्हें मानना छोड़ दिया जाए। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों को न मानने की बात भी कहीं नहीं कही है।
हां, नए युग के कुछ आदर्शों के नाम जरूर गिना दिए हैं। उनमें एक नाम बाबासाहब आंबेडकर का है, तो दूसरा नितिन गडकरी का। तो क्या बाबासाहब आंबेडकर आज के युग के ‘आइकन’ नहीं हैं? राज्यपाल ने तो अपने वक्तव्य में यह कहते हुए महाराष्ट्र की प्रशंसा ही की है कि महाराष्ट्र वासियों को अपना आदर्श तलाशने के लिए बाहर देखने की जरूरत ही नहीं है। यहां पर अनेक आदर्श मौजूद हैं। जैसा कि राज्यपाल ने कहा कि उनके जमाने में किसी को सुभाषचंद्र बोस पसंद थे, किसी को नेहरू, तो किसी को गांधी। उसी प्रकार आज भी कोई शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे को अपना आदर्श मानता है तो कोई लता मंगेशकर या सचिन तेंदुलकर को