खबर संसार, नई दिल्ली: …तो इसलिए खास है आस्था का महापर्व है Chhath Puja, इन दिनों लोकआस्था का पर्व छठ पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। कार्तिक माह की षष्ठी से नहाय खाय के साथ शुरूआत होती है। इस व्रत को करने वाली महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं और छठी मइया की आराधना करती हैं। ये व्रत करने यश में वृद्धि और भाग्य का उदय होता है। और घर में सुख शांति आती है। Chhath Puja के दूसरे दिन आज मंगलवार शाम को खरना पूजा के बाद व्रत करने वाली महिलाएं प्रसाद ग्रहण करेंगी, इसके लिए आज विशेष तरह का प्रसाद बनाया जाता है।
नहाय खाय से होती है Chhath Puja की शुरूआत
चार दिनों तक चलने वाले Chhath Puja महा पर्व की शुरूआत नहाय खाय से होती है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करती हैं। भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
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चार दिनों तक चलती छठ पूजा
खरना के दिन भूखे रह कर व्रती महिला संध्या के समय रोटी-खीर, रसिया बनाकर पूजा करने के बाद छठ मैया को स्मरण करते हुए प्रसाद ग्रहण करती हैं। तीसरे दिन छठ घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य व पूजा के चैथे दिन पानी में खड़े होकर उगते यानी उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे उषा अर्घ्य या पारण दिवस भी कहा जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं सात या ग्यारह बार परिक्रमा करती हैं। इसके बाद एक-दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोला जाता है। 36 घंटे का व्रत उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद तोड़ा जाता है। इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्घ्य यानी दूसरे और अंतिम अर्घ्य को देने के बाद संपन्न होता है।