th gk तालिबान के शासन की तीसरी वर्षगांठ हाल ही में बीत गई और इसी बीच अफगानिस्तान के तालिबान प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाने की इच्छा जाहिर की है। तालिबान ब्रक्स में शामिल होने की बात कही है। काबुल ने खुलकर इस अंतरराष्ट्रीय मंच में अपनी रूचि जाहिर की है।
इससे ये सवाल खड़ा होता है कि क्या तालिबान अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। खासकर जब यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया देशों के संघर्षों के बीच ईरान, रूस और वाशिंगटन जैस बड़े खिलाड़ियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा। डेक्कन हेराल्ड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान का आत्मविश्वास इस कदर बढ़ गया है कि वो ब्रिक्स जैसे बड़े समूह का हिस्सा बनने की चाह रखने लगा है।
BRICS देशों की आबादी दुनिया का 40% है
ब्रिक्स दुनिया की पांच सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। इस ब्रिक्स का हर अक्षर समूह के एक देश की अगुआई करता है। ये देश हैं – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका जानकारों का कहना है कि साल 2050 तक समूह के चीन और भारत सप्लायर होंगे तो रूस और ब्राजील कच्चे माल के सबसे बड़े सप्लायर होंगे।
ब्रिक्स देशों की आबादी दुनिया का 40% है। वैश्विक जीडीपी में इस समूह का हिस्सा लगभग 30% है। इसमें अफगानिस्तान का शामिल होना एक बहुत बड़ा कूटनीतिक कदम होगा। तालिबान शासन का कहना है कि उसके पास ब्रिक्स में शामिल होने के बहुत अच्छे कारण हैं। उनका कहना है कि ब्रिक्स बड़े संसाधनों वाले देशों का मंच है। जिसमें रूस भारत और चीन जैसे बड़े खिलाड़ी शामिल हैं।
ये एक चौंकाने वाला बयान है क्योंकि चीन साल पहले काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद कोई ये उम्मीद नहीं कर रहा था कि तालिबान इतनी जल्दी अंतरराष्ट्रीय मंचों में अपनी जगह बनाएगा। वो दिन अभी भी लोगों के जेहन में ताजा है जब अमेरिकी विमान में अफगान नागरिकों की तस्वीरें पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई थी। लेकिन तालिबान अब आगे बढ़ चुका है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है।
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