खबर संसार दिलीप अरोरा किच्छा -किच्छा की गोला नदी मे रात को पोकलेण्ड का ब्रेक डान्स देखें लाइव. जी हा किच्छा अवैध खनन और ओवर लोड के मामले मे बार बार अखबारों और सोशल मिडिया पर सुर्खियों मे बना रहता है बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर पाता है या यूँ कहे ऐसी कोई कार्यवाही अभी तक नहीं हुआ जिससे इन माफियाओ के दिल मे ख़ौफ पैदा हो सके। यही वजह है की ना इनको मिडिया का ख़ौफ है ना ही इनको प्रशासन शासन का।
किच्छा की गोला नदी मे रात को पोकलेण्ड का ब्रेक डान्स देखें लाइव
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पूरे क्षेत्र की सड़को और एन एच पर आपको ओवर लोड गाड़िया जैसे भूसे की ईंट की रेता की मिट्टी की इत्यादि सटासट दौड़ती नजर आएंगी यही नहीं पिछले एक साल मे हाइवे पर कई घटनाये हो चुकी है जिनमे कई लोग जान गवाँ चुके है।जिसका विरोध भी क्षेत्रीय जनता करती रहती है विरोध जब तक चलता है तबतक इन पर कंट्रोल होता है उसके बाद फिर वही स्थिति बन जाती है।
सूबे के मुखिया की ईमानदार छवि को नुकसान पंहुचाते माफिया
सोशल मिडिया मे लगातार अवैध खनन और ओवरलोड वाली गाड़ियों की खबरें सुर्खिया बनती रहती है यही नहीं ओवर लोड और अवैध खनन की शिकायत भी समय समय पर होती रहती है बावजूद इसके यह खेल रुकता नजर नहीं आता है क्षेत्र मे इन पर कार्यवाही न होना सूबे के मुखिया की अच्छी सोच और ईमानदार कार्यशैली को भी चोट पहुंचाने का कार्य है। इन अवैध खनन और अवैध स्टॉक पर बड़ी कार्यवाही होनी अति आवश्यक है क्योंकि कही न कही यह लोग राजस्व को भी मोटा नुकसान पहुंचा रहे है।
*रात के अँधेरे मे नदियों के सीने पोकलैंड का पंजा*
हाल ही मे कुछ स्थानीय नेताओं द्वारा स्टोन केशरो और स्टॉक कई जाँच की मांग भी उठायी गयी है। और आये दिन सोशल मिडिया पर अवैध खनन की खबरें दौड़ती नजर आ जा जाती है चर्चाओ की माने तो ऐसे खनन मे स्थानीय नेता के हाथ होने की बाते सुनने मे आ जाती है।क्या यही असली वजह है की रात को भी खनन बे ख़ौफ होता है या फिर वजह कुछ और ही है। फिलहाल किच्छा गोला मे प्राप्त जानकारी अनुसार मिट्टी उठाने की परमिशन का पता चला था लेकिन इसकी आड़ मे कुछ लोग नदियों के पास के खेत से मिट्टी के बहाने उपखनिज ही चोरी कर रहे है यही नहीं रात के अंधेरे मे जब जनता सो रही होती है तब नदियों मे पोकलेण्ड गरज रही होती है और गोला नदी के सीने को लगातार लहू लुहान कर रही होती है लेकिन ऐसे मे गोला का दर्द सुनने वाले खुद भी सो रहे होते है और अवैध खनन वाले रोज रात को राजस्व को मोटी चोट दे रहे है साथ ही सूबे के मुखिया और भाजपा सरकार की छवि को चोट पंहुचा रहे है। आखिर कब तक ऐसे खेल चलता रहेगा आखिर क्यों नहीं पूर्व कप्तान बरिंदर जीत सिंह जैसी कार्यवाही नहीं होती।