Tuesday, November 18, 2025
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हम परम वैभव की ओर बढ़ रहे है और इसमें समाज के प्रत्येक नागरिक का योगदान है

हल्द्वानी खबर संसार.संघ शताब्दी वर्ष, हल्द्वानी स्वदेशी , परिवार प्रबोधन, समरसता,पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्र के प्रति समर्पण का समय:आलोक जी, सह कार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हर घर जाकर , पंच परिवर्तन के संकल्प पर जोर देगा। संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य पर आयोजित स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम में अपने संबोधन में आरएसएस के सह सर कार्यवाह आलोक जी ने कहा कि हम परम वैभव की ओर बढ़ रहे है और इसमें समाज के प्रत्येक नागरिक का योगदान है।

 

श्री आलोक ने कहा कि संघ शताब्दी वर्ष बाद हम 101 वर्ष में प्रवेश ले रहे है और इस वर्ष हमने प्रत्येक घर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने इस बात को जोर देकर कहा कि अगले दस पंद्रह वर्षों में हमने देश में पंच परिवर्तन के लिए समाज में काम करना है और इसकी शुरुआत सबसे पहले स्वयं से करनी है।

 

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘पंच परिवर्तन’

 

पांच प्रमुख सामाजिक और वैचारिक बदलावों का एक कार्यक्रम है जिसे हर घर तक पहुंचना है और जिसका उद्देश्य भारतीय समाज में सकारात्मक और रचनात्मक परिवर्तन लाना है।

 

पंच परिवर्तन के पांच आयाम

 

श्री आलोक ने पंच परिवर्तन के विषय को सरल शब्दों में समझाते हुए कहा कि स्व का बोध (स्वदेशी जीवन शैली):अपनेपन, आत्मनिर्भरता और स्थानीय संसाधनों के उपयोग पर बल देना है ताकि ये राष्ट्र आर्थिक दृष्टि से मजबूत बन सके।

 

नागरिक कर्तव्य: उन्होंने कहा कि हर नागरिक का अपने कर्तव्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाना, कानून का पालन करना और राष्ट्रहित में योगदान देनाआवश्यक है।उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि किस तरह छोटे से ब्रिटिश राज्य ने अनुशासन और अपने कानून के दम पर दुनिया भर में राज किया ,

 

पर्यावरण संरक्षण:

श्री आलोक ने कहा कि दुनियां भर में जलवायु परिवर्तन का असर दिखाई दे रहा है,आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाएं बहुत होंगी ऐसा भविष्य वक्ताओं ने संकेत दिए है धरती पर जितनी आबादी होनी चाहिए उससे अधिक हो गई है प्रकृति अपना संतुलन खुद बनाती है।उन्होंने कहा कि प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्वपूर्ण जीवनशैली अपनाना और पृथ्वी, जल, वायु जैसे संसाधनों की रक्षा करना, जल, जंगल जमीन को कैसे सम्भल कर रखे ऐसी चर्चा और प्रयास, परिवार में समाज में होने चाहिए।

सामाजिक समरसता:

श्री आलोक ने कहा कि समाज के सभी वर्गों के बीच भेदभाव दूर करना और सौहार्द, भाईचारे को बढ़ावा देना स्वयंसेवक का कार्य है, आज भी छुआछूत मंदिर प्रवेश को लेकर विषय सामने आते है जिन्हें हम सबने मिलकर दूर करना ह

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