भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच जारी परमाणु समरूपता अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है। हाल के परीक्षणों में भारत ने सिर्फ रेंज बढ़ाई ही नहीं, बल्कि मल्टी-वारहेड और रेल-आधारित लॉन्च जैसी क्षमताएँ भी सार्वजनिक कर दी हैं जिससे यह संदेश जाता है कि देश अपनी परमाणु नीतियों और प्रतिरक्षा तकनीक में पीछे नहीं है।
अग्नि-5 और इसका एमआईआरवी वर्जन — रेंज के साथ सटीकता
अग्नि-5 तीन चरणों वाली इंटरमीडिएट बैलेस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक बताई जाती है। यह मिसाइल चीन, पाकिस्तान और एशिया के बड़े हिस्सों को कवर करने में सक्षम है। अधिक महत्वपूर्ण है इसका एमआईआरवी (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) संस्करण — जो एक ही वाहन से कई वारहेड अलग-अलग लक्ष्यों पर भेजने की क्षमता रखता है। 2024 के सफल ट्रायल ने यह दिखा दिया कि भारत ने रेंज के साथ-साथ मल्टी-टारगेट सटीकता में भी प्रगति कर ली है।
रेल-आधारित लॉन्च — अग्नि-प्राइम का सामरिक लाभ
25 सितंबर को सफल परीक्षण में भारत ने अग्नि-प्राइम मिसाइल को रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर से दाग कर यह साबित किया कि देश ने गतिशील और कम दृश्यता वाले प्रक्षेपण विकल्प विकसित किए हैं। रेलकार से लॉन्च की क्षमता देश को बड़े भौगोलिक क्षेत्रों में मिसाइलों की तैनाती और तेजी से स्थानांतरण की स्वतंत्रता देती है, जिससे पहली नज़र में लक्ष्यों का पता लगाना कठिन होता है और प्रतिकिया समय घटता है। रक्षा मंत्री ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को सम्मानित किया।
रणनीतिक निहितार्थ
अब भारत और चीन के पास स्थल, वायु और समुद्र — तीनों मार्गों से न्यूक्लियर स्ट्राइक की क्षमता मौजूद है, जबकि पाकिस्तान के पास समुद्री लॉन्च क्षमता सीमित रह गई है। रेल-आधारित और एमआईआरवी जैसी क्षमताओं ने क्षेत्रीय समरूपता और संतुलन के मायने बदल दिए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि गतिशील प्लेटफॉर्म का विकास परमाणु नीतियों में जटिलता बढ़ाता है और निवारक क्षमता को मज़बूत करता है। हालिया परीक्षण केवल तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि एक स्पष्ट रणनीतिक संदेश हैं — भारत ने अपनी परमाणु तिकड़ी क्षमताओं को आगे बढ़ाया है और क्षेत्रीय संतुलन पर इसका असर दूरगामी होगा।
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