उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान कर दिया है कि राज्य में जल्द ही ‘समान नागरिक संहिता’ यानि यूसीसी लागू हो जाएगी। इसकी लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। ऐसा होने से उत्तराखंड आजादी के बाद ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने वाला प्रदेश बन जाएगा।
दरअसल, यूनिफॉर्म सिविल कोड शादी, तलाक, मेंटिनेंस, संपत्ति का अधिकार, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करता है।। व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति, संप्रदाय का क्यों न हो, उन सबके लिए एक समान कानून है यूसीसी। 2015 में यूसीसी लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि इसका धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है। UCC लागू होने से प्रदेश क्या नियम कायदे बदल जाएंगे और किसे क्या अधिकार मिलेंगे, यह जानना भी जरूरी है। आइये जानते हैं इनके बारे में…
UNIFORM CIVIL CODE आने से उत्तराखंड में क्या होगा?
- शादी का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ग्राम सभा स्तर पर भी रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
- कोई भी जाति, धर्म, संप्रदाय हो तलाक का एक समान कानून होगा। अभी देश में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के जरिए करते हैं।
- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति धर्म की हो, एक समान 18 साल होगी।
- सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा, लेकिन दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा।
- हलाला और इददत की प्रथाएं बंद होंगी। उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा।
- लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। आधार कार्ड अनिवार्य होगा। ।18 से 21 साल के जोड़ों को माता-पिता का सहमति पत्र देना होगा।
- लिव इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह अधिकार मिलेगा।
- यूनिफॉर्म सिविल कोड के इस ड्राफ्ट में शेडयूल ट्राइब यानि अनुसूचित जनजाति को पूरी तरह से बाहर रखा गया है।। ट्रांसजेंडर, धार्मिक मामलों जैसे पूजा पद्वति, पंरपराओं से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
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