Tuesday, November 18, 2025
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वामपंथी टूल किट्स की देहरादून में एंट्री, जेएनयू दिल्ली की तरह लगाए आजादी के नारे

खबर संसार देहरादून.वामपंथी टूल किट्स की देहरादून में एंट्री, जेएनयू दिल्ली की तरह लगाए आजादी के नारे. जी हा पेपर लीक पर आंदोलन कर रहे उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के बीच अब वामपंथी टूल किट्स की एंट्री हो गई है। कांग्रेस के द्वारा बैक स्पोर्ट दिए जाने वाले इन आंदोलनकारी परजीवियों द्वारा ऐसे भड़काऊ नारे लगाए जा रहे है जो जेएनयू दिल्ली में लगाए जाते थे।

वामपंथी टूल किट्स की देहरादून में एंट्री, जेएनयू दिल्ली की तरह लगाए आजादी के नारे

हम छीन के लेंगे आजादी के नारे लगाने वाले आंदोलनकारी परजीवी अचानक देहरादून के परेड ग्राउंड में शिक्षित बेरोजगारों के आंदोलन में दिखाई देने लगे है।दिल्ली में जेएनयू ,जामिया और शाइन बाग में आजादी के नारे लगा कर युवाओं को सरकार के खिलाफ भड़काने वाले टूल किट्स क्या कांग्रेस के कहने पर राजधानी देहरादून में डेरा डाले हुए है ? या कोई और इन्हें अन्य राज्यों से यहां लाकर आंदोलन करवा रहा है?

कल तक बेरोजगार संघ का आंदोलन बॉबी पंवार अपने साथियों के साथ मिलकर शुरू किए उसने अब उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा का रूप ले लिया है, अब इसमें अचानक वामपंथी टूल किट्स की एंट्री हो गई है। राज्य भर के जितने भी लेफ्टिस्ट पत्रकार और संगठनों से जुड़े युवा थे वे भी इसी मोर्चा की छतरी ने नीचे एकत्र हो गए है।

उल्लेखनीय है कि इस टूल किट्स के कार्यकर्ताओं के पास एक ही एजेंडा होता है कि वो जिन जिन राज्यों में बीजेपी की सरकारे है उनके खिलाफ आंदोलन खड़ा करके उन्हें कमजोर करना है।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में 2027 में चुनाव होने है उससे पहले बीजेपी राज्यों में सरकारों के खिलाफ युवाओं के आंदोलन खड़े करके कांग्रेस के लिए माहौल बनाने का खेल देहरादून मे ये टूल किट्स खेलने आए है।

देहरादून में पिछले सालों में शिक्षित बेरोजगारों द्वारा बेरोजगार संघ द्वारा आंदोलन किए गए, उस वक्त आंदोलन का नेतृत्व बॉबी पंवार राम कंडवाल , आदि युवाओं ने किया।

बॉबी पंवार ने उत्तरकाशी लोकसभा का चुनाव भी लड़ा और अपनी राजनीतिक हैसियत बनाने के लिए जुगाड जंतर भी किया।

लेकिन तब तक इनके साथ बाहरी नगरों के वामपंथी एंट्री नहीं हुई थी और अचानक इस बार ये कैसे हो गई ? स्वाभिक चर्चा शुरू हो गई है कि जब से बॉबी पंवार टीम ने जब से उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा बनाया और उसके बाद इसमें वामपंथी विचारधारा के युवाओं की भी एंट्री होनी शुरू हो गई। सवाल ये भी उठा है कि आखिर इस मोर्चा को फंडिंग कहां कहां से हो रही है ? क्या कोई बाहरी एजेंसियों यहां सक्रिय है ?

सोशल मीडिया के जरिए युवाओं की भीड़ जुटाना और उन्हें सरकार विरोधी देश विरोधी नारे लगवा कर उकसाना इन टूल किट्स की विशेषता होती है।

टूल किट्स के परजीवी , बीजेपी सरकार के अलावा आरएसएस, हिंदुत्व निष्ट संगठनों को भी निशाने पर है। इन्हें भगवे ध्वज से नफरत है और इस्लामिक हरे रंग से प्रेम है।

देहरादून में आंदोलन के दौरान भगवा झंडों को कोसा गया और ऐसे झंडे लेकर आने वाले लोगों को गांव में घुसने न देने का आह्वान भी किया गया है।

पेपर लीक प्रकरण भी एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत हो रहा है कि कैसे आरोपियों ने आंदोलनकारियो से संपर्क किया और ये मामला सोशल मीडिया के जरिए तूल पकड़ता गया।

परीक्षा प्रश्न पत्र के तीन पन्नो के बाहर आने के बाद से मचे बवाल में दो आरोपी खालिद मलिक और उसकी बहन साबिया का नाम जब सामने आया तो उत्तराखंड बीजेपी ने इसे नकल जेहाद बताया जिसके बाद से टूल किट्स को खासी बेचैनी हुई क्योंकि ऐसी जानकारी भी सामने आ रही है कि आंदोलनकारी परजीवियों में बड़ी संख्या में मुस्लिम युवक युवतियां भी शामिल है।

उत्तराखंड देवभूमि मानी जाती है जहां एक विशेष समुदाय ने सनातन संस्कृति के खिलाफ पहले से ही षडयंत्र रचा हुआ है। धामी सरकार लैंड जिहाद,थूक जिहाद, लव जिहाद ,मजार जिहाद जैसे मामलों में सख्ती बरत रही है।

उल्लेखनीय ये भी है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के सौ साल मना रहा है पूरे देश के साथ साथ उत्तराखंड में भी कार्यक्रम हो रहे है, जिनके खिलाफत करने सभी वामपंथी टूलकिट्स सक्रिय हो गए है।

समझने वाले भली भांति समझते है कि देवभूमि में विचारधारा का युद्ध हो रहा है। कांग्रेस और वामपंथी एक हो रखे है जिन्हें पीछे से जमीयत उलेमा ए हिंद भी मदद करती रही है।

बड़ा सवाल ये भी है कि क्या खालिद मलिक और साबिया के पीछे भी कोई और एजेंसियां या शक्तियां काम कर रही है ?

उत्तराखंड में सशक्त नकल विरोधी कानून है जिसमें कठोर सजा दंड का प्रावधान है।

बावजूद इसके खालिद मलिक ने भर्ती परीक्षा में नकल करने के दुस्साहस किया ऐसा प्रतीत होता है कि अभी इसके पीछे और भी कहानियों का पर्दाफाश होना बाकि है।

धामी सरकार की ये उपलब्धि भी विपक्ष को रास नहीं आ रही है कि पिछले चार साल में 25 हजार से अधिक बेरोजगारों को सरकारी नौकरियों में पारदर्शी रूप से नौकरियां हासिल हुई है। धामी सरकार की इस साख पर चोट पहुंचाने के लिए भी टूल किट्स सक्रिय हुए है।

बरहाल देहरादून के परेड ग्राउंड के आसपास वामपंथी नारे गूंज रहे है और इन्हें लगाने वालो के चेहरे भी अंजान है,ये कहां से आए है ? कौन लोग है ? इस पर दून पुलिस को सतर्कता बरतनी जरूरी है।

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