खबर संसार, नई दिल्ली: कोरोना वायरस की महामारी ने भारत में कोहराम मचा रखा है। Hospitals हो रहा आक्सीजन का संकट छाया हुआ है। कोरोना संक्रमण की ताजा लहर से लोगों में खौफ का माहौल है। ऑक्सीजन की इतनी कमी हो गई है कि Hospitals को अदालतों के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं। जानिए आखिर क्यों कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी देखने को मिल रही है।
उद्योगों को आक्सीजन आपूर्ति नहीं
गहराते आक्सीजन संकट के बीच केंद्र की बनाई कमेटी ने बहुत से उद्योगों के लिए फिलहाल इन दिनों इसकी आपूर्ति पर रोक लगा दी गई है। अब ज्यादातर उद्योगों को आक्सीजन की आपूर्ति नहीं की जाएगी। Hospitals तक आक्सीजन पहुंचोन का निर्णय लिया है। जितनी ऑक्सीजन बने, सारी ही मेडिकल जरूरत में लगाई जा सके।
कितनी ऑक्सीजन होती है तैयार
कोरोनावायरस महामारी के फैलने से पहले भारत में प्रतिदिन 700 टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन महामारी के दौरान 2020 में इसकी मांग चार गुना बढ़ कर प्रतिदिन 2800 टन पर पहुंच गई। इस समय देश में महामारी पहले से भी बेहद तेजी से फैल रही है और अनुमान है कि इस समय देश में प्रतिदिन 5,000 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।
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देश में ऑक्सीजन का संकट नहीं
रिपोर्टों के अनुसार देश में इस समय प्रतिदिन 7,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जबकि मांग सिर्फ करीब 5,000 टन की है। जानकारों का कहना है कि संकट उपलब्धता का नहीं, ऑक्सीजन को जगह-जगह Hospitals तक पहुंचाने का है।
महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन बनती है, लेकिन वहीं मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन बनाने का एक भी संयंत्र नहीं है। महाराष्ट्र और गुजरात दोनों ही राज्य महामारी की शुरुआत से ही सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से रहे हैं, इसलिए वो ज्यादा ऑक्सीजन दूसरे राज्यों को देने की स्थिति में नहीं हैं।
ऑक्सीजन पहुंचाने की चुनौती
जानकार कहते हैं कि आंध्रप्रदेश, ओडिशा और झारखंड जैसेप्रदेशों में अतिरिक्त ऑक्सीजन उपलब्ध है, लेकिन चुनौती इसे वहां से दूसरे राज्यों में पहुंचाने की है। इसके लिए रेलवे ने विशेष माल गाड़ियों पर लाद कर ऑक्सीजन के बड़े बड़े टैंकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की शुरुआत की है। इसके अलावा 50,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आयात करने की भी तैयारी की जा रही है। ताकि Hospitals तक ऑक्सीजन पहुंच सके।