नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के उत्पादन और बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नरमी दिखाते हुए ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि बिक्री को फिलहाल शर्तों के साथ ही अनुमति दी जाएगी और इस पर अंतिम फैसला 8 अक्टूबर को सुनाया जाएगा।
क्या है मामला?
वायु प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इस साल पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पूरी रोक लगा दी थी। यूपी और हरियाणा सरकार ने भी एनसीआर के अपने हिस्सों में इसी तरह की रोक लागू की। फायरवर्क ट्रेडर्स एसोसिएशन और अन्य संगठनों ने इसे चुनौती दी है। उनका कहना है कि कई कारोबारियों के पास 2027-28 तक वैध लाइसेंस मौजूद थे, जिन्हें पिछले आदेशों के कारण रद्द किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने ग्रीन पटाखों के उत्पादन और बिक्री की अनुमति की मांग की है।
केवल दिल्ली में रोक क्यों?
12 सितंबर को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने सवाल उठाया था कि सिर्फ दिल्ली में पटाखों पर रोक क्यों है। कोर्ट ने कहा कि पूरे देश में एक समान नीति बननी चाहिए। कारोबारियों की याचिका पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से जवाब मांगा गया था।
कोर्ट में हुई सुनवाई
26 सितंबर को हुई सुनवाई में CAQM ने रिपोर्ट पेश की, जिसमें NEERI द्वारा तैयार किए गए कम प्रदूषण वाले ग्रीन पटाखों के फॉर्मूले का विवरण था। PESO ने इस फॉर्मूले का पालन करने वाले उत्पादकों को लाइसेंस दिए हैं, लेकिन देखा गया कि कुछ क्यूआर कोड का दुरुपयोग भी हुआ।
पटाखा कारोबारियों और सरकार का पक्ष
व्यापारियों ने कहा कि वह सभी शर्तें मानने को तैयार हैं और उत्पादन शुरू करने की अनुमति दी जाए। एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने चेताया कि ग्रीन पटाखों की बिक्री सुनिश्चित नहीं है। दिल्ली और केंद्र सरकार ने कहा कि पूर्ण पाबंदी के पक्ष में नहीं हैं।
कोर्ट का आदेश
चीफ जस्टिस ने कहा कि पूरी रोक बेअसर रही है। PESO से लाइसेंस प्राप्त निर्माता उत्पादन शुरू कर सकते हैं, लेकिन बिक्री के लिए अनुमति फिलहाल नहीं है। केंद्र सरकार को सभी पक्षों से चर्चा कर 8 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों की बिक्री पर समाधान पेश करना होगा।
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