खबर संसार नई दिल्ली: पिछले महीने तक लग रहा था कि महामारी से तबाह हुई भारत की Economy संभल रही है। इस रिकवरी को देखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 10 से 13 प्रतिशत के बीच बढ़ने की भविष्वाणी की थी। लेकिन भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने Economy की स्थिति को काफी घातक बना दिया है। इस पर दुनियाभर में चर्चा हो रही है, चीन भी इससे अछूता नहीं है।
चीन के विश्लेषकों ने कहा है कि भारत को राजनीतिक पक्षपात को एक ओर रखकर चीन से सीखना चाहिए। उसे टेस्टिंग की क्षमता में सुधार करना चाहिए और अस्थायी अस्पतालों का निर्माण करना चाहिए। इनका कहना है कि आने वाले दो हफ्तों में नए मामले 5 लाख तक हो सकते हैं।
भारत की Economy पर पड़ेगा असर
अप्रैल में कोरोना वायरस की दूसरी भयावह लहर के कारण न केवल इस रिकवरी पर ब्रेक लगा है बल्कि पिछले छह महीने में हुए उछाल पर पानी फिरता नजर आता है। चीनी विश्लेषकों ने कहा है कि असल संख्या दर्ज मामलों से काफी ज्यादा है क्योंकि इसमें कई बेघर लोगों को शामिल नहीं किया गया है।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी विश्लेषक हू जियोंग ने कहा, कोरोना वायरस की घातक होती स्थिति का असर भारत की Economy पर भी पड़ेगा, ये Economy उतनी हो सकती है जितनी 20 साल पहले थी। ऐसा भी हो सकता है कि इससे दक्षिण एशिया की स्थिरता प्रभावित हो।
ये भी पढ़ें- Corona Curfew- जमाखोरी कर हो रही मुनाफाखोरी
चीनी कंपनियां मदद को तैयार
चीनी विश्लेषक जियोंग बीते साल से ही भारत की कोरोना वायरस की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। कुछ दिन पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भी भारत को मदद करने की पेशकश की थी। पेकिंग यूनिवर्सिटी के नांग गुआंगफू ने कहा है कि भारत को टेस्टिंग क्षमता में सुधार करने की जरूरत है, ताकि सभी मरीजों का पता चल सके। लोगों के इलाज और उन्हें क्वारंटीन करने के लिए अस्थायी अस्पताल बनाने चाहिए। इससे संक्रमण के स्त्रोत को नियंत्रित किया जा सकेगा और वायरस की चेन टूटेगी।
पश्चिमी देशों के करीब जाना चाहता है भारत
चीनी विश्लेषक जियोंग का कहना है कि भारत को अपने वैचारिक पक्षपात को परे रखकर पहले लोगों की जिंदगी के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत पश्चिमी देशों के करीब जाना चाहता है, जिसका नेतृत्व अमेरिका करता है लेकिन आज यही देश भारत से राजनयिक आदान-प्रदान को रद्द करने और उड़ानों को निलंबित करने में व्यस्त हैं। साथ ही अमेरिका भी वैक्सीन के निर्माण में इस्तेमाल कच्चे माल के निर्यात से प्रतिबंध हटाने के तैयार नहीं है, जिसकी भारत को तत्काल जरूरत है।