मुंबई, खबर संसार। कोरोना का वायरस एक बार फिर अपने चरम पर है। इस बीच मुंबई में काम करने वाले हजारों प्रवासियों को (lockdown) किसी भी समय अपने गृह राज्य लौटने की आशंका के बीच फिर से अपने बैग पैक करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सैकड़ों लोग तो ट्रेन पकड़कर वापस लौट भी रहे हैं। पिछले साल लॉकडाउन (lockdown) की वजह से महाराष्ट्र से हजारों प्रवासी मजदूरों को पलायन करना पड़ा था। इस बार तो स्थिति और खराब दिखाई दे रही है। पिछले साल तो प्रवासी मजदूरों की मदद करने वाले कई लोग एवं संगठन थे, जो उन्हें भोजन, दवाइयां आदि की सुविधा दे रहे थे। मगर इस साल वे भी गायब हैं।
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पिछली बार जब लॉकडाउन (lockdown) खुला और सामान्य स्थिति लौटने लगी तो ये मजदूर भी अपने काम पर लौट आए थे। अब उन्हें काम पर लौटे मुश्किल से छह महीने भी नहीं हुए हैं, मगर उन्हें एक बार फिर पलायन का डर सताने लगा है। राज्य में कोरोना वायरस की दूसरी लहर चल रही है और रोजाना हजारों मामले सामने आ रहे हैं। यही वजह है कि वह पहले से ही अपना बैग पैक करने लगे हैं।
इस बार स्थिति और गंभीर
धारावी गारमेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता और कांग्रेस बीएमसी नगर निगम कॉर्पोरेटर हाजी बब्बू खान ने बताया कि इस साल कोविड-19 की स्थिति 2020 की तुलना में कई गुना खराब दिखाई दे रही है। खान ने गैर-सरकारी संगठन और धर्मार्थ संगठन भी अपने संसाधनों को समाप्त कर चुके हैं। यही वजह है कि अब स्थिति 2020 की तुलना में और भी गंभीर है।
कारखानों, गोदामों में काम करते हैं लाखों मजदूर
पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन (lockdown) के बाद नौकरी या अन्य काम नहीं मिलने के कारण अधिकांश प्रवासी मजदूर अपने गृह नगर लौट गए थे। ये प्रवासी मजदूर लाखों छोटे या मध्यम उद्योगों के अलावा छोटे कारखानों, कार्यशालाओं, गोदामों, होटलों, रेस्तरां, डिलीवरी चेन, बड़े और छोटे कार्यालयों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और यहां तक कि बड़ी खुदरा दुकानों, शॉपिंग सेंटरों और ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में काम करते थे। जब चीजें सामान्य हुई तो प्रवासी मजदूरों ने करीब छह महीने पहले फिर से राज्य में लौटना शुरू कर दिया था और उन्हें अब ऐसा ही भय सताने लगा है कि राज्य में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा हुई तो उन्हें दोबारा से अपने घर लौटना पड़ सकता है।